Saturday, May 9, 2020

हृदयाघात

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था इक यंत्र
जो संभालता था
यंत्रणाओं की पोटली
रुकने से यंत्र के
यंत्रणा बिखर गई

था एक सरोवर
स्नान जहाँ करती थी
आत्मा डूबकर
सरोवर के सूखने से 
आत्मा निकल गई

था एक मैदान
जहाँ करती थी शवासन
प्रतीक्षा मनोयोग से
काल से उजड़ा मैदान
प्रतीक्षा संजोग से

था प्रत्याशाओं का जंगल
जो बाँटता था प्रशस्ति
प्राप्ति की बेला में
है मृत्यु ही अंतिम प्राप्ति
जीवन के मेला में