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इस देश के आकाश में लगा है ऐसा चंद्रग्रहण
कि ग्रास हुई जाती हैं हमारी तमाम आकांक्षायें
ऐसे में हमारे राजनेता बन बैठे हैं राजज्योतिष
और दे रहे हैं हमें तसल्ली अच्छे दिनों की ऐसे
कि जैसे ग्रह बदलते हों दिशा उनकी ही इच्छा से
उनके दामन पर लगी हैं छींटे मंगल ग्रह के रंगत जैसी
जबकि वह दिखना चाहते हैं बृहस्पति ग्रह जैसा सुन्दर
उनकी जुबान पर भले ही दिखता हो प्रभाव कर्क राशि का
वो बताते हैं खुद को सहनशील तुला राशि के समान
और लग जाता है देश की कुण्डली में कालसर्प योग
हाय! कैसे हो निवारण देश की कुण्डली में लगे इस दोष का
कि जानते हैं हमारे राजनेता, हाँ वही जो बन बैठे हैं राजज्योतिष
कि देश की अधिकतर जनता आज भी करती है विश्वास
अपने कर्मों से कहीं अधिक भाग्य और भाग्यविधाता पर
और वो बेच रहें हैं भ्रम का ताबीज़ भरकर तसल्लियों का मोम
राजनेता, हाँ वही, जो बन बैठे हैं राजज्योतिष
अब देश के भाग्यविधाता बन जाना चाहते हैं
हमारे कर्मों के मुँह पर मचाता है शोर चेचक का दाग
और हम हैं कि टीवी के सामने एकाग्रता से बैठकर
फेयर एंड लवली का विज्ञापन देख रहे होते हैं!
विज्ञापन के बीज मन्त्र से आहुति ले रहे हैं देश के भाग्यविधाता
और जनता है संतुष्ट कि अब जल्द ही आयेंगे अच्छे दिन !!!
--सुलोचना वर्मा----