Saturday, March 26, 2016
Friday, March 25, 2016
शुन्यता से शून्य तक
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मैंने कर रखा था कैद खुद को अदृश्य काल कोठरी में
जहाँ मैंने सहेज कर रखी थी अपार शुन्यता एक अरसे से
जो मिली मुझे जीवन में पूर्णता की चाह के विनिमय में
कि मुझे स्वीकार थी शुन्यता शून्य हो जाने की अपेक्षा में
लपेट ली मैंने अपनी शुन्यता को सुख की रंगीन पन्नी में
दहकने लगे मेरे सुख और जलकर मुझे शून्य कर गए
शून्य होकर अब लौटा देना चाहती हूँ मैं अपनी पूर्णता
ठीक ऐसे समय में भावशून्यता घेरकर रोक लेती है मुझे
जहाँ सांत्वना बनी मेरी हमसफर शुन्यता की स्थिति में
मेरे शून्य हो जाने को दरकार रही अनुभूति शान्ति की
विलीन हो सकती थी मैं रात के गहन अन्धकार में भी
पर जीवन को बाँचना था ज्ञान हाहाकार के क्लांति की
------सुलोचना वर्मा---------
मैंने कर रखा था कैद खुद को अदृश्य काल कोठरी में
जहाँ मैंने सहेज कर रखी थी अपार शुन्यता एक अरसे से
जो मिली मुझे जीवन में पूर्णता की चाह के विनिमय में
कि मुझे स्वीकार थी शुन्यता शून्य हो जाने की अपेक्षा में
लपेट ली मैंने अपनी शुन्यता को सुख की रंगीन पन्नी में
दहकने लगे मेरे सुख और जलकर मुझे शून्य कर गए
शून्य होकर अब लौटा देना चाहती हूँ मैं अपनी पूर्णता
ठीक ऐसे समय में भावशून्यता घेरकर रोक लेती है मुझे
जहाँ सांत्वना बनी मेरी हमसफर शुन्यता की स्थिति में
मेरे शून्य हो जाने को दरकार रही अनुभूति शान्ति की
विलीन हो सकती थी मैं रात के गहन अन्धकार में भी
पर जीवन को बाँचना था ज्ञान हाहाकार के क्लांति की
------सुलोचना वर्मा---------
Saturday, March 19, 2016
भारत माता की जय
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सख्त परहेज है उन्हें क्रांति की तमाम बातों से
जबकि वो कर सकते हैं बातें घंटों देशभक्ति की
जहाँ प्रतिरोध को रखते हैं वो देशद्रोह की श्रेणी में
वो कर सकते हैं उग्र प्रदर्शन अपनी शक्ति की
उनकी समझ से है परे तर्क और विज्ञान की भाषा
कि अंधविश्वासी होना है उनका जन्मसिद्ध अधिकार
आपत्ति नहीं उन्हें सामाजिक छुआछूत और घृणा से
बस आप नहीं कर सकते हैं तो अपनी मर्जी से प्यार
उनकी बातों में है घृणा का मवाद, कुंठा की लय
कर सकते हैं वो निर्वस्त्र स्त्रियों को भी बीच सड़क में
और चिल्ला सकते हैं खड़े होकर निर्लज्ज और निर्भय
"भारत माता की जय"! "भारत माता की जय"!
रो देती है भारत माता देखकर अपनी ऐसी दुर्दशा
जहाँ मानवता की सुनहरी फसल का हो रहा हो क्षय
चिल्ला रहे हैं उसके बच्चे कर एक-दूसरे की हत्या
"भारत माता की जय"! "भारत माता की जय"!
-----सुलोचना वर्मा-----------
सख्त परहेज है उन्हें क्रांति की तमाम बातों से
जबकि वो कर सकते हैं बातें घंटों देशभक्ति की
जहाँ प्रतिरोध को रखते हैं वो देशद्रोह की श्रेणी में
वो कर सकते हैं उग्र प्रदर्शन अपनी शक्ति की
उनकी समझ से है परे तर्क और विज्ञान की भाषा
कि अंधविश्वासी होना है उनका जन्मसिद्ध अधिकार
आपत्ति नहीं उन्हें सामाजिक छुआछूत और घृणा से
बस आप नहीं कर सकते हैं तो अपनी मर्जी से प्यार
उनकी बातों में है घृणा का मवाद, कुंठा की लय
कर सकते हैं वो निर्वस्त्र स्त्रियों को भी बीच सड़क में
और चिल्ला सकते हैं खड़े होकर निर्लज्ज और निर्भय
"भारत माता की जय"! "भारत माता की जय"!
रो देती है भारत माता देखकर अपनी ऐसी दुर्दशा
जहाँ मानवता की सुनहरी फसल का हो रहा हो क्षय
चिल्ला रहे हैं उसके बच्चे कर एक-दूसरे की हत्या
"भारत माता की जय"! "भारत माता की जय"!
-----सुलोचना वर्मा-----------
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