Thursday, April 1, 2021

सुबोध सरकार की कविताएँ

 अनुवाद: सुलोचना 


१. एक कुत्ते का बायोडेटा 


पिता जर्मन, माँ रहती थी एंटली की गली में

जन्म के समय वजन: २१/२ पाउंड, डाकनाम जीना

घर की लड़कियाँ पुकारती हैं फुचू, फुचूमणि, फुचान

त्वचा का रंग गहरा काला, पूँछ नहीं है।


दिन में गोमांस के आठ टुकड़े

रात में एक कटोरी दूध। फिलहाल उम्र तीन बरस 

आज तक किसी को भी नहीं काटा।


सिर्फ़ पिछली बार मतदान से पहले

धोती पहने एक सज्जन आए थे 

हाथ जोड़कर वोट माँगने 


जीना ने उन्हें दौड़ाया था सड़क तक 

काटा नहीं, काटने पर, जीना का बायोडेटा कहता है:

जीना खुद ही पागल हो गया होता ।


२. छात्र को लिखी चिठ्ठी 


तुम जिस दिन पहली बार मेरे पास आए

तुम्हारे हाथों में मायाकोवस्की

और आँखों में था 

सुबह का उजाला |


बिहार से लौटकर तुम फिर आए

धीमी आवाज़ में, वाष्प छुपाकर 

तुमने सुनाई थी बिहार की दास्ताँ 

खून हो चुके पिता के बारे में

मैं देख पाया तुम्हारे पीछे खड़ी है विषन्नता |


फिर आये एक दिन, एक दिन और, फिर से, बारबार 

एक दिन बात हुई चीन के बारे में 

एक दिन वियतनाम

एक दिन कंबोडिया

एक दिन क्यूबा

तुम्हारी आँखों में था सुबह का उजाला

तुमने सुनायी थी चे-ग्वेरा की डायरी मुँह-जबानी | 


लेकिन क्या हो गया तुम्हें ?

आना बंद क्यों कर दिया ?

एक दिन फोन किया था, तुम्हारे घर से

मुझसे कहा गया, तुम तीन दिन से घर नहीं लौटे हो

तुम ऐसे तो नहीं थे? क्या हुआ तुम्हें ?

 

अभी-अभी पता चला है 

तुम आमूल बदल गए हो 

तुम अब मुझे बर्दाश्त नहीं कर पाते 

मायाकोवस्की जला दिया है तुमने 

भारत के गो-वलय से निगलने के लिए निकलकर आये   

एक दल में तुमने नाम लिखवाया है |


मैंने कोई गलती तो नहीं की ?

लिखवाया, तो लिखवाया |

तुमने मेरे घर आना क्यों बंद कर दिया?

मैं क्या तुम्हें जबरन 

कार्ल मार्क्स पढ़ाऊंगा ?

घोड़े को तालाब तक पकड़कर लाया जा सकता है

उसे क्या जबरन पानी पिलाया जा सकता है?

ओ मेरे सुबह के उजाले, तुम एक दिन

फिर लौट आओगे मेरे पास, दरवाजा खुला रहेगा मेरा 

प्यार लेना |


३. रूपम


रूपम को एक नौकरी दीजिये  - एम. ए पास, पिता नहीं हैं 

है प्रेमिका जो एक या दो महीने देखेगी, फिर 

नदी के इस पार से नदी की दूसरी ओर जाकर कहेगी, रूपम

आज चलती हूँ 

तुम्हें याद रखूंगी हमेशा

रूपम को एक नौकरी दीजिये, कोई भी नौकरी 

चपरासी का काम हो तो भी चलेगा |


तमालबाबू ने फोन उठाया, फोन के दूसरे छोर पर

जो लोग करते हैं बात

उन्हें चूँकि देखा नहीं जा सकता है, इसलिए वे समझ से बाहर हैं |

तमालबाबू ने मामा से कहा कि रुपम को एक नौकरी की है जरूरत 

मामा ने चाचा से कहा, चाचा ने कहा ताऊ से,

ताऊ ने कहा

हवा से |

मनुष्य का जानना एक बात है, लेकिन हवा जान जाये तो 

पहले ही दौड़ जायेगी दक्षिण की ओर, वह कहेगी दक्षिण के अरण्य से 

अरण्य कहेगा आग से, आग गई अलीमुद्दीन स्ट्रीट पर

अलीमुद्दीन दौड़ा नदी को बताने के लिए 

नदी आकर गिर पड़ी 

तट पर, समुद्र से लेकर हिमाचल तक सब कहने लगे 

रूपम को एक नौकरी दीजिये, एम. ए पास कर बैठा है लड़का |


कुछेक महीने बाद की घटना, मैं घर लौट रहा था शाम के समय 

गली के मोड़ पर सात-आठ लोगों का जमावड़ा देख मैं अचानक रुक गया

था पानी से सद्य बाहर लाया गया रूपम का शव 

पूरे शरीर पर घास, पुआल, हाथ की मुट्ठी में 

पकड़ा हुआ एक एक रूपये का सिक्का |

सार्वजनिक बूथ से किसी को फ़ोन करना चाहा था, रूपम ने?

भारत सरकार के एक रूपये के सिक्के पर है मेरी नजर |


पूरे शरीर पर है हरित घास, घास नहीं, अक्षर

एम. ए. पास करने के लिए एक लड़के को जितने अक्षर पढ़ने पड़ते हैं

वे समस्त व्यर्थ अक्षर उसके शरीर पर लगे हुए हैं |


एक लड़के को आपलोग एम. ए. क्यों पढ़ाते हैं, किस ख़ुशी में 

बनाया है आठ विश्वविद्यालय ? बंद कर दीजिये 

ये बातें कहने के लिए पवित्र सरकार को फोन लगाया 

फोन बज उठा, फोन बजता रहा, फोन बजता ही रहा

२० सालों से वह फोन बजता ही चला जा रहा है, अगले बीस सालों तक बजता रहेगा |


हवा कह रही है अरण्य से, अरण्य बढ़ रहा है नदी की ओर

नदी ने तट से गिरते हुए कहा:

रूपम को एक नौकरी दीजिये |

रूपम कौन है?

रूपम आचार्य, उम्र २६, एम. ए. पास

बाएँ गाल पर कटे का निशान है|


४. एक निर्जन रास्ता 

  

कई वर्षों से मैं तुम्हें एक निर्जन रास्ते पर ले जाना चाहता हूँ 

लेकिन क्यों?

एक निर्जन रास्ता 

भीषण निर्जन एक रास्ता मैंने देखा था 

विरही नामक एक गाँव है, रास्ता उसी तरफ है।


शहर की एक गली से दूसरी गली, एक रास्ते से दूसरा रास्ता  

एक मधुशाला से दूसरे मधुशाला तक 

मध्यरात्रि में दस गिलास पलटकर रख 

निकल आया हूँ तुम्हें साथ लेकर  

फिर भी मेरी प्यास नहीं बुझी


मुझे जाना होगा एक भीषण निर्जन रास्ते पर 

निर्जन एक रास्ते पर।

'बताओ तो क्यों रह रहकर एक निर्जन रास्ते की बात करते हो?'

कौन, किसने मुझसे यह सवाल पूछा?

क्या तुम छोटानागपुर की हवा हो या 

असम की मेखला?


मैं पूर्वजन्म से ही तुम्हारे साथ एक निर्जन रास्ते पर 

जाना चाहता हूँ, रास्ते का नाम गोधूलि है

इस पृथ्वी के दो मनुष्य उस रास्ते पर थोड़ी देर चलेंगे

काम, अर्थ, यश कुछ नहीं चाहिए सिर्फ़ एक निर्जन रास्ता ।


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१. একটি কুকুরের বায়োডেটা 


বাবা জার্মান, মা থাকত এন্টালির গলিতে

জন্মের সময় ওজন : ২১/২ পাউন্ড, ডাকনাম জিনা

বাড়ির মেয়েরা ডাকে ফুচু, ফুচুমণি, ফুচান…

গায়ের রঙ কুচকুচে কালো, লেজ নেই।


দিনের বেলায় আট টুকরো গরুর মাংস

রাতে একবাটি দুধ। এখন বয়স তিন

আজ পর্যন্ত কাউকে কামড়ায়নি।


শুধু গেল বার ভোটের আগে

ধুতিপরা এক ভদ্রলোক এসেছিলেন

করজোড়ে ভোট চাইতে


জিনা তাকে তেড়ে গিয়েছিল রাস্তা পর্যন্ত

কামড়ায়নি, কামড়ালে, জিনার বায়োডেটা বলছে :

জিনা নিজেই পাগল হয়ে যেত।


२. ছাত্রকে লেখা চিঠি


তুমি যেদিন প্রথম এসেছিলে আমার কাছে

তোমার হাতে মায়াকভ্ স্কি

আর চোখে

সকালবেলার আলো |


বিহার থেকে ফিরে এসে তুমি আবার এলে

গলা নামিয়ে, বাষ্প লুকিয়ে

তুমি বলেছিলে বিহারের কথা

খুন হয়ে যাওয়া বাবার কথা

আমি দেখতে পেলাম তোমার পেছনে দাঁড়িয়ে আছে বিষণ্ণতা |


আবার এলে একদিন, আবারও এলে, আবার, আবার

একদিন চিন নিয়ে কথা হল

একদিন ভিয়েৎনাম

একদিন কম্বোডিয়া

একদিন কিউবা

তোমার চোখে সকালবেলার আলো

তুমি চে-গুয়েভারার ডায়েরি মুখস্ত বলেছিলে  |


কিন্তু কী হল তোমার ?

আসা বন্ধ করে দিলে কেন ?

একদিন ফোন করেছিলাম, তোমার বাড়ি থেকে

আমায় বলল, তিনদিন বাড়ি ফেরনি তুমি

এরকম তো ছিলে না তুমি ? কী হয়েছে তোমার  ?

 

এইমাত্র জানতে পারলাম

তুমি আমূল বদলে গেছ

তুমি আর আমাকে সহ্য করতে পার না

মায়াকভ্ স্কি পুড়িয়ে ফেলেছ

ভারতের গো-বলয় থেকে গ্রাস করতে ছুটে আসা

একটা দলে তুমি নাম লিখিয়েছ |


আমি কোন দোষ করিনি তো  ?

লিখিয়েছ, লিখিয়েছ |

তুমি কেন আমার বাড়ি আসা বন্ধ করে দিলে ?

আমি কি তোমাকে জোড় করে

কার্ল মার্কস পড়াব ?

ঘোড়াটিকে পুকুর পর্যন্ত ধরে আনা যায়

তাকে কি জোড় করে জল খাওয়ানো যায় ?

ওগো সকালবেলার আলো, তুমি একদিন

আবার কাছে ফিরে আসবে, দরজা খোলা থাকবে আমার

ভালোবাসা নিয়ো  |


३. রূপম 


রূপমকে একটা চাকরি দিন—এম. এ পাস, বাবা নেই

আছে প্রেমিকা সে আর দু’-এক মাস দেখবে, তারপর

নদীর এপার থেকে নদীর ওপারে গিয়ে বলবে, রূপম

আজ চলি

তোমাকে মনে থাকবে চিরদিন

রূপমকে একটা চাকরি দিন, যে কোন কাজ

পিওনের কাজ হলেও চলবে |


তমালবাবু ফোন তুললেন, ফোনের অন্য প্রান্তে

যারা কথা বলেন

তাদের যেহেতু দেখা যায় না, সুতরাং তারা দুর্জ্ঞেয় |

তমালবাবু মামাকে বললেন কূপমের একটা চাকরি দরকার

মামা বললেন কাকাকে, কাকা বললেন জ্যাঠাকে,

জ্যাঠা বললেন

বাতাসকে |

মানুষ জানলে একরকম, কিন্তু বাতাস জানলে

প্রথমেই ছুটে যাবে দক্ষিণে, সে বলবে দক্ষিণের অরণ্যকে

অরণ্য বলবে আগুনকে, আগুন গেল আলিমুদ্দিন স্ট্রিটে

আলিমুদ্দিন ছুটল নদীকে বলার জন্য

নদী এসে আছড়ে পড়ল

উপকূলে, আসমুদ্র হিমাচল বলে উঠল

রূপমকে একটা চাকরি দাও, এম. এ. পাশ করে বসে আছে ছেলেটা |


কয়েক মাস বাদের ঘটনা, আমি বাড়িফিরছিলাম সন্ধেবেলায়

গলির মোড়ে সাত-আটজনের জটলা দেখে থমকে দাঁড়ালাম

জল থেকে সদ্য তুলে আনা রূপমের ডেডবডি

সারা গায়ে ঘাস, খরকুটো, হাতের মুঠোয়

ধরে থাকা একটা এক টাকার কয়েন |

পাবলিক বুথ থেকে কাউকে ফোন করতে চেয়েছিল, রূপম?

ভারত সরকারের এক টাকা কয়েনের দিকে আমার চোখ |


সারা গায়ে সবুজ ঘাস, ঘাস নয়, অক্ষর

এম. এ. পাস করতে একটা ছেলেকে যত অক্ষর পড়তে হয়

সেই সমস্ত ব্যর্থ অক্ষর ওর গায়ে লেগে আছে |


একটা ছেলেকে কেন আপনারা এম. এ. পড়ান, কোন আহ্লাদে আটখানা

বিশ্ববিদ্যালয় বানিয়েছেন? তুলে দিন

এই কথাগুলো বলব বলে ফোন তুললাম পবিত্র সরকারের

ফোন বেজে উঠল, ফোন বেজে চলল, ফোন বেজেই চলল

২০ বছর ধরে ওই ফোন বেজে চলেছে, আরো কুড়ি বছর বাজবে |


বাতাস বলছে অরণ্যকে, অরণ্য চলেছে নদীর দিকে

নদী উপকূল থেকে আছড়ে পড়ে বলল :

রূপমকে একটা চাকরি দিন |

কে রূপম?

রূপম আচার্য, বয়স ২৬, এম. এ. পাস

বাঁ দিকের গালে একটা কাটা দাগ আছে |


৪. একটা নির্জন রাস্তা


কয়েকবছর ধরে আমি তোমাকে একটা নির্জন রাস্তায় নিয়ে যেতে চাইছি

কিন্তু কেন?

একটা নির্জন রাস্তা

ভীষণ নির্জন একটা রাস্তা আমি দেখেছিলাম

বিরহী নামে একটা গ্রাম আছে, রাস্তাটা সেইদিকে।


শহরের এক গলি থেকে আরেক গলি, এক রাস্তা থেকে অন্য রাস্তা

এক পানশালা থেকে অন্য পানশালা

মাঝরাতে দশটা গেলাস উল্টে রেখে

বেরিয়ে এলাম তোমাকে নিয়ে

তবু আমার পিপাসা গেল না


আমাকে যেতে হবে একটা ভীষণ নির্জন রাস্তায়

নির্জন একটা রাস্তায় ।

'কেন বলো তো থেকে থেকেই একটা নির্জন রাস্তার কথা বলো?'

কে, কে আমাকে এই প্রশ্ন করলে?

তুমি কি ছোটনাগপুরের বাতাস না

আসামের মেখলা?


আমি পূর্বজন্ম থেকে তোমার সঙ্গে একটা নির্জন রাস্তায়

যেতে চাইছি, রাস্তাটার নাম গোধূলি

এই পৃথিবীর দুজন মানুষ সেই রাস্তায় কিছুক্ষণ হাঁটবে

কাম, অর্থ, যশ কিচ্ছু চাই না শুধু একটা নির্জন রাস্তা।