Sunday, June 14, 2020

अवसाद -2

जब होता है अवसाद नदियों को
धार क्षीण होती है पहले
उग आती हैं फिर जलकुंभियाँ
फिर सूख जाती हैं नदियाँ एक दिन

जब होता है अवसाद पेड़ों को
उनसे बिछड़ जाते हैं पत्ते
छूट जाता है हरे रंग से वास्ता
और पेड़ बन जाता है ठूँठ

जब होता है अवसाद जानवरों को
क्षुधा हो जाती है शांत उत्साह की तरह
और शरीर उर्जाविहीन 
वे हो जाते हैं विदा देखते हुए कातर आँखों से

जब होता है अवसाद मनुष्यों को
दिखता है अंधकार दिन के उजाले में
मुक्ति और मृत्यु घुल जाते हैं आपस में
नमक और जल की तरह

बनकर साक्षी कई युगों के अवसाद का भी
पत्थरों को अवसाद नहीं होता
ज़िंदा होना होता है
अवसादग्रस्त होने की पहली शर्त ।

Sunday, June 7, 2020

समुद्र

मैं कर आई विसर्जित अपने समस्त दुःख
अरब सागर के लवण जल में
कि पूरी पृथ्वी पर वह लवण जल ही तो है
जो करता है दुखों से मुक्त
स्वेद, अश्रु और समुद्र !

Wednesday, June 3, 2020

अमानुष

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वे निकल आये घने जंगलों से
स्वयं को करते हुए घोषित
पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ प्राणी

रहकर मलय पर्वत के संसर्ग में
लम्बी अवधि तक
बाँस चंदन न बन सका
साक्षर और शिक्षित होकर भी
आधुनिक मनुष्य न हो पाया सभ्य

अपने गुणसूत्रों की स्मृति में
वे बर्बर अमानुष ही रहे!

पलक्कड़ की हस्तिनी
प्रथम नहीं थी, अंतिम भी नहीं !