जब होता है अवसाद नदियों को
धार क्षीण होती है पहले
उग आती हैं फिर जलकुंभियाँ
फिर सूख जाती हैं नदियाँ एक दिन
जब होता है अवसाद पेड़ों को
उनसे बिछड़ जाते हैं पत्ते
छूट जाता है हरे रंग से वास्ता
और पेड़ बन जाता है ठूँठ
जब होता है अवसाद जानवरों को
क्षुधा हो जाती है शांत उत्साह की तरह
और शरीर उर्जाविहीन
वे हो जाते हैं विदा देखते हुए कातर आँखों से
जब होता है अवसाद मनुष्यों को
दिखता है अंधकार दिन के उजाले में
मुक्ति और मृत्यु घुल जाते हैं आपस में
नमक और जल की तरह
बनकर साक्षी कई युगों के अवसाद का भी
पत्थरों को अवसाद नहीं होता
ज़िंदा होना होता है
अवसादग्रस्त होने की पहली शर्त ।
धार क्षीण होती है पहले
उग आती हैं फिर जलकुंभियाँ
फिर सूख जाती हैं नदियाँ एक दिन
जब होता है अवसाद पेड़ों को
उनसे बिछड़ जाते हैं पत्ते
छूट जाता है हरे रंग से वास्ता
और पेड़ बन जाता है ठूँठ
जब होता है अवसाद जानवरों को
क्षुधा हो जाती है शांत उत्साह की तरह
और शरीर उर्जाविहीन
वे हो जाते हैं विदा देखते हुए कातर आँखों से
जब होता है अवसाद मनुष्यों को
दिखता है अंधकार दिन के उजाले में
मुक्ति और मृत्यु घुल जाते हैं आपस में
नमक और जल की तरह
बनकर साक्षी कई युगों के अवसाद का भी
पत्थरों को अवसाद नहीं होता
ज़िंदा होना होता है
अवसादग्रस्त होने की पहली शर्त ।
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