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गाढ़े नीले रंग की स्याही में है दर्ज़
मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं में तैर रही दमित स्मृतियाँ
जिन्हें विस्मृत करने के अभ्यास में किए जा रही हूँ कंठस्थ
अब भी आच्छादित है जिन पर रक्त अक्षत अच्छे दिनों के अनुष्ठान का
धरने पर है अनुच्चारित शब्दों का जुलूस
ध्वनि के द्वार पर, नीरवता में लीन
कोई जाप या मंत्रोच्चार नहीं, है बस इक आशा
कि सुनाएगा कभी जीवन पियानो बीथोवन की नाइन्थ सिम्फ़नी
समयपुरुष पोंछ देता है उन तमाम स्नेहसिक्त आँखों की अनुभूतियों को
जो कर सकता था काम मलहम का मेरी वेदना पर
अबाध्य मन जा रहा है दंडकारण्य की ओर
है बस इक आशा कि लौट आएगा अच्छे दिनों का प्रवासी पक्षी
अवकाश पर हैं धरती के समस्त देवी-देवता इन दिनों
कि विलीन हो जाती हैं समस्त प्रार्थनाएँ निर्वात में
है बस इक आशा कि आएगा कोई पैगम्बर वक़्त का
और करवाएगा मेरा साक्षात्कार अच्छे दिनों के देवता से
गाढ़े नीले रंग की स्याही में है दर्ज़
मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं में तैर रही दमित स्मृतियाँ
जिन्हें विस्मृत करने के अभ्यास में किए जा रही हूँ कंठस्थ
अब भी आच्छादित है जिन पर रक्त अक्षत अच्छे दिनों के अनुष्ठान का
धरने पर है अनुच्चारित शब्दों का जुलूस
ध्वनि के द्वार पर, नीरवता में लीन
कोई जाप या मंत्रोच्चार नहीं, है बस इक आशा
कि सुनाएगा कभी जीवन पियानो बीथोवन की नाइन्थ सिम्फ़नी
समयपुरुष पोंछ देता है उन तमाम स्नेहसिक्त आँखों की अनुभूतियों को
जो कर सकता था काम मलहम का मेरी वेदना पर
अबाध्य मन जा रहा है दंडकारण्य की ओर
है बस इक आशा कि लौट आएगा अच्छे दिनों का प्रवासी पक्षी
अवकाश पर हैं धरती के समस्त देवी-देवता इन दिनों
कि विलीन हो जाती हैं समस्त प्रार्थनाएँ निर्वात में
है बस इक आशा कि आएगा कोई पैगम्बर वक़्त का
और करवाएगा मेरा साक्षात्कार अच्छे दिनों के देवता से
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