Thursday, September 14, 2017

गुड़िया

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जन्मदिन के उपहार में तीन गुड़ियाँ मिलीं थी उसे 
जबकि दो पहले से ही रही उसके पास 
पाँच गुड़ियों का होना नहीं था कम किसी भी स्वप्न से 

पहली गुड़िया की बनाई ऊँची चोटी 
और  चूमते हुए उसे कहा "तुम मेरी छुटकी हो"
बार्बी नाम लेकर ही आई थी दूसरी 
जिसके सुंदर जूतों को निहारती थी देर तक 
तीसरी के पास गुलाबी फ्रॉक थी ठीक वैसी 
पहना था जैसा उसने अपने जन्मदिन पर और 
पूछकर माँ से रखा था उसका नाम "नयनतारा"
माँ उसे भी इसी नाम से बुलाती थी अक्सर 
नौ बरस की परी का रहा छोटा सा प्यारा संसार 

ठीक जब वह खेल रही थी अपने नए -पुराने गुड़ियों से 
और देख रही थी अगले जन्मदिन का प्यारा सपना 
घटित होती रही उसके जीवन में कुरूप एक घटना 
मामा कहती थी, मारा जिसने बचपन को किस्तों में 
नासमझ थी, फिर कौन करता है संदेह ऐसे रिश्तों में 
यह भी एक खेल है - बताता रहा उसे पूछे जाने पर 
और यह भी बताया कि गुड़िया वह थी इस खेल में 

जन्मदिन के उपहार में तीन गुड़ियाँ मिलीं थी उसे 
जबकि दो पहले से ही रही उसके पास 

अब वह कोई मामूली गुड़िया तो थी नहीं, हाड़-मांस की गुड़िया थी 
जब दिया जन्म उसने एक गुड़िया को, उसे नहीं पता था हुआ था जो 
रख दिल पर पत्थर कहा था माँ ने - पथरी थी, निकाल दिया डॉक्टर ने 
कह रहे थे लोग होकर हैरान हर तरफ - गुड़िया को गुड़िया हुई है  

जन्मदिन के उपहार में तीन गुड़ियाँ मिलीं थी उसे 
जबकि दो पहले से ही रही उसके पास 

बंद कर दी सभी गुड़ियाँ माँ ने अलमारी में एक रोज़ यह कहकर 
कि बंद हो जाना चाहिए अब गुड़ियों का खेल हमेशा के लिए 
कि दस बरस की लड़की बन चुकी थी खिलौना इस खेल आड़ की में 
सुबकती हुई लड़की कुछ भी नहीं समझ पायी 

जन्मदिन के उपहार में तीन गुड़ियाँ मिलीं थी उसे 
जबकि दो पहले से ही रही उसके पास ..........

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