Wednesday, August 28, 2013

जन्माष्टमी

28.8.2013
ऐ चरवाहे ......
तू निर्गुन क्यों गाता  है
क्या आशावरी नही आती तुम्हे
ये प्रश्न उभर आता है
ये कौरवों का देश है
यहाँ हैं धृतराष्ट्र अनेक
बढ़ गया  दुःशासन का दुःसाहस
सिला रह गया उसका विवेक
अर्जुन को मिला था ज्ञान गीता का
सो दे रहा वो उपदेश
कर्म करते रहने का
बिसर गया निर्देश
राग कंबोजी फिर से गाओ
ना रहे कोई विषमता
मर्दों में पौरुषता भर दो
और स्त्रियों में ममता
शंख, सुदर्शन फिर उठा लो
हो जाओ रथ पर सवार
अवतरित हो नये रूप में
करो मानवता का उद्धार
एक नही कई नंद हैं
सब कर रहे इंतजार


-----सुलोचना वर्मा-----

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