Sunday, May 24, 2015

स्त्रियाँ स्वतंत्र हैं

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इस देश की स्त्रियाँ स्वतंत्र हैं
कि शोध करे कण भौतिकी पर
और ठीक स्वर्ण पदक पा लेने के बाद
घर बैठे बन बेरोजगार बिना किसी ग्लानी के


वो कर सकती हैं प्रेम टूटकर किसी से
और जा सकती हैं किसी अजनबी के साथ बिताने उम्र
ऐसे में कुल की मर्यादा की रक्षा करने के लिए
इस देश की स्त्रियाँ स्वतंत्र हैं


इस देश की स्त्रियाँ स्वतंत्र हैं
कि जन सकें आठवीं बेटी बेटे की आस में
और जीतीं रहें यंत्रवत जीवन साल दर साल
किसी अनजाने भय में होकर लिप्त


वो हो सकती हैं अनुकूलित जरुरत के हिसाब से
कि उनकी अपनी कोई इच्छा ही नहीं होती
किसी भी प्रकार की ग्लानी, दुःख और पीड़ा से
इस देश की स्त्रियाँ स्वतंत्र हैं


मेरी आँखों में अक्सर खटकती है ऐसी स्वतंत्रता
कि पनपे आधी आबादी को भी करोड़ों साल बीते
पूछती है अपनी निजता की पराधीन मेरी आत्मा
इस देश की स्त्रियाँ इतनी स्वतंत्र क्यूँ हैं!!!


-------सुलोचना वर्मा---------------

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