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बड़ा होता है हर एक दिन और हर एक महीना
कैलेंडर के उस पन्ने से जहाँ वह होता है चिन्हित
पर सबसे बड़ा है वह अनुभव जिसे लिखा गया
शब्दों में डायरी के पन्नों में, समय जिसे जीया गया
पाया गया है ऐसा कि उम्र हमेशा लम्बी ही होती है
हथेली में मौजूद आयु रेखा की लकीर के मुकाबले
कुछ घन्टे, कुछ दिन, कुछ महीने या फिर कुछ साल ?
उम्र इतनी भी लम्बी नहीं होती कि जान सकें ये सूत्र
रचे गए रामायण और महाभारत जैसे मोटे-मोटे ग्रन्थ
जो हमेशा छोटे ही दिखे सीता और द्रौपदी के दुःख से
पर सबसे मोटा था वह वक़्त जो देख रहा था चुपचाप
दर्ज होते इन कथाओं को ग्रंथों में और इन्हें मानक बनते
सबसे ज्यादा बड़ा है आयतन आसमान का जिसमें है कैद
असंख्य तारे ठीक वैसे जैसे पिंजरे में कैद होती है चिड़ियाँ
पर संसार में सबसे ज्यादा जालिम होता है बेरहम वक्त
जो देखता है सब कुछ और समय आने पर पलट जाता है
वक़्त बड़ा है अनुभवों से, लम्बा है उम्र से अधिक और जालिम सबसे ज्यादा !
---सुलोचना वर्मा ----
बड़ा होता है हर एक दिन और हर एक महीना
कैलेंडर के उस पन्ने से जहाँ वह होता है चिन्हित
पर सबसे बड़ा है वह अनुभव जिसे लिखा गया
शब्दों में डायरी के पन्नों में, समय जिसे जीया गया
पाया गया है ऐसा कि उम्र हमेशा लम्बी ही होती है
हथेली में मौजूद आयु रेखा की लकीर के मुकाबले
कुछ घन्टे, कुछ दिन, कुछ महीने या फिर कुछ साल ?
उम्र इतनी भी लम्बी नहीं होती कि जान सकें ये सूत्र
रचे गए रामायण और महाभारत जैसे मोटे-मोटे ग्रन्थ
जो हमेशा छोटे ही दिखे सीता और द्रौपदी के दुःख से
पर सबसे मोटा था वह वक़्त जो देख रहा था चुपचाप
दर्ज होते इन कथाओं को ग्रंथों में और इन्हें मानक बनते
सबसे ज्यादा बड़ा है आयतन आसमान का जिसमें है कैद
असंख्य तारे ठीक वैसे जैसे पिंजरे में कैद होती है चिड़ियाँ
पर संसार में सबसे ज्यादा जालिम होता है बेरहम वक्त
जो देखता है सब कुछ और समय आने पर पलट जाता है
वक़्त बड़ा है अनुभवों से, लम्बा है उम्र से अधिक और जालिम सबसे ज्यादा !
---सुलोचना वर्मा ----
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