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सुनो भगत, तुम्हे कर रही हूँ संबोधित
अपने ह्रदय पर एक अपराध बोध लिए
लज्जा आती होगी तुम्हे हमारी कृतघ्नता पर
और पछतावा अपनी शहादत के लिए
काँप रहे हैं लोग बदलाव के विचारों से
और कर रहे हैं अब तमंचे पे डिस्को
वही तमंचा, जिसे तुमने उठाया था
क्रान्ति और आज़ादी के लिए
कर रहे लोग व्याख्या, क्रांति का शब्दों में
हैं अपने अपने फायदे, है अपना अपना अर्थ
ले रहे हैं प्राण अपने ही देशवासियों का
हिंसा और साम्प्रदायिकता के लिए
लगाते हैं तुम्हारे पोस्टर करने को दिखावा
केवल और केवल एक प्रतीक स्वरुप मान
भरकर क्रान्ति का नए स्वर में हुंकार
करते हैं इस्तेमाल तुम्हे राजनीति के लिए
खड़े हैं दो अलग अलग ध्रुवों पर - वो और तुम
क्रमशः कुमकुम और रक्त लिए अपने अपने माथे पर
तुम अमर हो आज भी देश के हर इन्क़लाब में
और वो, मौन हैं अपनी धृष्टता के लिए
विस्मृत हुआ तुम्हारी क्रांति का अंतिम पड़ाव
तुम्हारे ही जान से प्यारे इस हिन्दुस्तान को
ऐसे में क्या तुम आ सकोगे फिर एक बार
अपनी क्रांति की पुनरावृति के लिए
सुलोचना वर्मा
सुनो भगत, तुम्हे कर रही हूँ संबोधित
अपने ह्रदय पर एक अपराध बोध लिए
लज्जा आती होगी तुम्हे हमारी कृतघ्नता पर
और पछतावा अपनी शहादत के लिए
काँप रहे हैं लोग बदलाव के विचारों से
और कर रहे हैं अब तमंचे पे डिस्को
वही तमंचा, जिसे तुमने उठाया था
क्रान्ति और आज़ादी के लिए
कर रहे लोग व्याख्या, क्रांति का शब्दों में
हैं अपने अपने फायदे, है अपना अपना अर्थ
ले रहे हैं प्राण अपने ही देशवासियों का
हिंसा और साम्प्रदायिकता के लिए
लगाते हैं तुम्हारे पोस्टर करने को दिखावा
केवल और केवल एक प्रतीक स्वरुप मान
भरकर क्रान्ति का नए स्वर में हुंकार
करते हैं इस्तेमाल तुम्हे राजनीति के लिए
खड़े हैं दो अलग अलग ध्रुवों पर - वो और तुम
क्रमशः कुमकुम और रक्त लिए अपने अपने माथे पर
तुम अमर हो आज भी देश के हर इन्क़लाब में
और वो, मौन हैं अपनी धृष्टता के लिए
विस्मृत हुआ तुम्हारी क्रांति का अंतिम पड़ाव
तुम्हारे ही जान से प्यारे इस हिन्दुस्तान को
ऐसे में क्या तुम आ सकोगे फिर एक बार
अपनी क्रांति की पुनरावृति के लिए
सुलोचना वर्मा
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