Sunday, March 2, 2014

सम्बन्ध

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एक नया सम्बन्ध
जो पैदा होता है मंद मुस्कान लिए
अंतःकरण की उपजाऊ सतह पर
जब फूटता है संभावनाओं का विरवा
जैसे जैसे सम्बन्ध तय करता है
अपने उम्र की दूरियां
बढ़ता ही चला जाता है
पैमाना संबंधों का
जुड़ जाते हैं कई शब्द
क्या, किंचित, यदि जैसे
रह जाते हैं कई प्रश्न अनुत्तरित
और खामोशी बयाँ कर देती है
कुछ अनकहे वाकये
चढ़ने लगता है सम्बन्ध फिर
अनुबंध की सीढियां
आखिरी सीढ़ी अनुबंध की
लाकर खड़ा कर देती है
बौद्धिकता की उस छत पर
लग जाता है जहाँ रिश्तों पर
प्रतिबन्ध का ताला
और हर प्रतिबन्ध के उस पार
पास के किसी दरीचे से झाँक
मंद मंद मुस्कुराता है
एक नया सम्बन्ध


(c)सुलोचना वर्मा

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