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क्या बाँधा किसी ने उस इकलौते कुत्ते को
मरुथल में काटा जिसने ऊँट पर बैठे इंसान को
और जिंदगी की अदालत में मुजरिम बना वक़्त
क्या वक्त इतना था बुरा कि मिले उसे सजा उम्रकैद की
और दर्ज होकर रह जाए उसका बुरा होना इतिहास में
फिर मान ले मानदण्ड लोग अपने बचाव की खातिर उसे
क्या ज़िक्र हुआ किसी किताब में उन करोड़ों लोगों का
जो चढ़े ऊँटों पर एक नहीं, कई बार
और जिन पर नहीं किया हमला किसी कुत्ते ने
काश हम सीख पाते कि हादसों से इतर हैं घटती
सुंदर घटनाएं भी जीवन में
कि बीता हुआ वक़्त गुज़र नहीं पाता
ठहर जाता है हमारी स्मृतियों में
---सुलोचना वर्मा-----
क्या बाँधा किसी ने उस इकलौते कुत्ते को
मरुथल में काटा जिसने ऊँट पर बैठे इंसान को
और जिंदगी की अदालत में मुजरिम बना वक़्त
क्या वक्त इतना था बुरा कि मिले उसे सजा उम्रकैद की
और दर्ज होकर रह जाए उसका बुरा होना इतिहास में
फिर मान ले मानदण्ड लोग अपने बचाव की खातिर उसे
क्या ज़िक्र हुआ किसी किताब में उन करोड़ों लोगों का
जो चढ़े ऊँटों पर एक नहीं, कई बार
और जिन पर नहीं किया हमला किसी कुत्ते ने
काश हम सीख पाते कि हादसों से इतर हैं घटती
सुंदर घटनाएं भी जीवन में
कि बीता हुआ वक़्त गुज़र नहीं पाता
ठहर जाता है हमारी स्मृतियों में
---सुलोचना वर्मा-----
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