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वह गर्मियों में घूमने नहीं गयी हिमालय
और जमने दिया बर्फ अपनी इच्छाओं पर
नहीं देखा उसने कभी पुरी का समंदर भी
पर डालती रही रेत आँखों के सैलाब पर
नहीं पढ़ा कभी न्यूटन के गति का तीसरा नियम
फिर भी करती रही कड़ी मेहनत घर और बाहर
सुनाया ही कब किसी ने हिग्ग्स बोसॉन के बारे में उसे
विश्वास रहा कि मानती रही कण-कण में होता है भगवान्
नहीं चखा अभी तक घर में पड़ा सल्फास उसने
और मरती रही देखकर फरवरी महीने की बारिश
वह निश्चित तौर पर किसान की पत्नी ही रही होगी
प्रकृति में प्रकृति को भला और किसने जिंदा रखा है
----सुलोचना वर्मा-------
वह गर्मियों में घूमने नहीं गयी हिमालय
और जमने दिया बर्फ अपनी इच्छाओं पर
नहीं देखा उसने कभी पुरी का समंदर भी
पर डालती रही रेत आँखों के सैलाब पर
नहीं पढ़ा कभी न्यूटन के गति का तीसरा नियम
फिर भी करती रही कड़ी मेहनत घर और बाहर
सुनाया ही कब किसी ने हिग्ग्स बोसॉन के बारे में उसे
विश्वास रहा कि मानती रही कण-कण में होता है भगवान्
नहीं चखा अभी तक घर में पड़ा सल्फास उसने
और मरती रही देखकर फरवरी महीने की बारिश
वह निश्चित तौर पर किसान की पत्नी ही रही होगी
प्रकृति में प्रकृति को भला और किसने जिंदा रखा है
----सुलोचना वर्मा-------
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