Monday, March 16, 2015

अन्नदाता

---------------------------------------------------------
वह मरता तो है आम इंसानों की ही तरह
ख़त्म होती है उसकी भी चिंता उसी के साथ
और छूट जाता है संघर्ष से उसका सम्बन्ध भी मरकर  
पर मिट्टी में मिलकर उसकी तरह कोई खुश नहीं होता


जहाँ आम इंसान छोड़ जाता है वसीयत मरने से पहले
वह छोड़ जाता है अपने हिस्से की धूप बच्चों की खातिर
कभी रख जाता है एक जोड़े बैल तो कभी एक ट्रैक्टर
और दे जाता है उन्हें अन्नदाता बने रहने की ज़िम्मेदारी 


जहाँ टंग जाता है आम इंसान मरते ही दीवारों पर अक्सर
कृत्रिम फूलों की माला से सजे सुन्दर महँगे फोटो फ्रेम में
मर जाना अन्नदाता का यहाँ एक बेहद ही आम घटना है
एक ऐसी आम घटना जिसका कहीं कोई ज़िक्र नहीं होता


जहाँ अन्नदाता पसीना बहाकर मेहनत से अन्न उगाते हैं
आम इंसानों की इस धरती पर देवी व देवता पूजे जाते हैं
ये अन्नदाता भी कहीं न कहीं देवताओं की तरह ही होते हैं
जहाँ हो सुख और पेट हों भरे, अन्नदाता कहाँ याद आते हैं 


------सुलोचना वर्मा --------

No comments:

Post a Comment