Wednesday, January 11, 2017

अनुत्तरित

-----------------------------------------------------------------------------------------------
खूब बारिश हुई थी उस साल और गाँव की इकलौती सड़क पर घुटने तक पानी जमा था| बारिश रुक चुकी थी| वह 2 किताबें और एक कॉपी, जिसपर फाउंटेन पेन खोंसा हुआ था, सीने से चिपकाए माथा नीचे किए ट्यूशन पढ़ने जा रही थी| अभी आधे रास्ते ही पहुँची थी कि जावेद चचा की दूकान पर बैठे चाय का लुत्फ़ उठाते पवन मिश्र ने टोका "काहे जा रही हो इतने पानी में? लड़की जात हो, आगे शादी-ब्याह ही तो करोगी| बरसाती घाव हो गया तो पाँव में निशान छोड़ जाएगा| एक महीना घर बैठ जाने से परीक्षा में फेल नहीं हो जाओगी| पास तो हो ही जाओगी|"

मधुरा ने कुछ भी नहीं कहा और सर हिलाकर आगे बढ़ गयी| उसके साथ उसके पड़ोस का लड़का कृष्ण मुरारी भी था| उससे किसी ने कुछ भी नहीं कहा| क्लास रूम में उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था| कुछ शब्द उसका पीछा कर रहे थे| यह वही शब्द थे जो रास्ते में उससे कहे गए थे| क्या वह सिर्फ इसलिए पास होने का अरमान रखे कि वह एक लड़की है? वह अव्वल क्यूँ न आए?

ट्यूशन के बाद वह सीधे घर लौट आयी थी; पर कुछ था जो उसे अच्छा नहीं लग रहा था| लेकिन क्या? पवन मिश्र का टोकना? तीन घंटों तक घुटने तक भींगे कपड़ों में क्लास रूम में बैठना? लड़की होना?  
देर तक खिड़की पर चिंतन की मुद्रा में बैठे रहने के बाद शाम में मन ठीक करने के लिए मधुरा  ने हारमोनियम निकाला| वह राग भूपाली की बंदिश गा रही थी-

"सा ध प ग रे सा.....................
लाज बचाओ कृष्ण मुरारी, तुम बिन और न दूजो कोई
बीच भँवर में आन फंसी अब नैया मोरी डगमग डोले
पार लगाओ शरण तिहारी ......"

पास के कमरे से चचेरा भाई चिल्लाता हुआ आया "कोई ढंग का गाना नहीं गा सकती !! शाम के साढ़े सात बजे "लाज बचाओ, लाज बचाओ" चिल्लाओगी तो आस-पड़ोस वाले क्या समझेंगे ...और लाज बचाना ही है तो घर में जवान भाईयों के रहते कृष्ण मुरारी को क्यूँ बुला रही हो??"

"अरे! यह बंदिश है और यह पड़ोस का कृष्ण मुरारी नहीं है| इसमें भगवान् श्रीकृष्ण को पुकारा गया है| इस बंदिश को मैंने तो नहीं लिखा, गुरु जी ने सिखाया है" मधुरा ने झल्लाते हुए कहा और गाना बंद कर हारमोनियम को यथास्थान रख आयी| 

मधुरा के पड़ोस में एक कृष्णभक्त मारवाड़ी परिवार रहता था| उस घर के चारों बच्चों के नाम क्रमशः श्यामलता, श्यामबिहारी, कृष्ण मुरारी और कृष्णकांता थे| श्यामलता लगातार तीन सालों तक फेल हुई और अब वह भी मधुरा  की कक्षा में ही थी| कभी-कभार स्कूल तो चली जाती थी, पर वह ट्यूशन पढ़ने नहीं जाती थी| गाँव की अन्य लड़कियों की तरह उसे बस पास ही होना था; पर उसके लिए यह भी नाक से पानी पीने जैसा ही था| कृष्ण मुरारी मधुरा के साथ ही ट्यूशन पढ़ने जाता था| ऐसा नहीं था कि किसी ने दोनों को साथ जाने के लिए कभी कहा हो, पर कृष्ण मुरारी ने हमेशा मधुरा  के साथ चलना अपना कर्तव्य समझा| ऐसा भी नहीं था कि दोनों साथ ही घर से निकलते थे, कभी मधुरा को घर से निकलने में देर हो जाती, तो वह गली के मोड़ पर उसका इन्तजार करता| बिना कुछ कहे साथ चलता रहता|

बाहर झींगुरों का शोर था| आधा गाँव सो चूका था और बाकी के आधे गाँव वाले सोने की तैयारी कर रहे थे| कोई बर्तन मांज रही थी तो कोई रोटियाँ सेंक रही थी| कोई लाठी लिए "जागते रहो" पुकार रहा था तो कोई आँखें बंद किए राम-नाम  की माला फेर रहा था| मधुरा मच्छरदानी टांग रही थी कि माँ ने सलाद काटने के लिए बुला लिया| 

अगले दो घंटों के बाद घर-बाहर हर ओर सन्नाटा पसरा था सिवाय उस गाँव के जो मधुरा  के मानस में बसा हुआ था| इस गाँव में न तो सूरज अस्त होता था; न ही चाँद खिलता था| बाइस्कोप की तरह बस रील दर रील दृश्य उभरते थे| इस गाँव को नींद नहीं आती थी| यह एक बेचैन गाँव था जो हरदम जगा रहता था| यह गाँव क्या चाहता था मधुरा  से? या मधुरा  इस गाँव से कुछ चाहती थी? बाइस्कोप की एक रील में उसने श्यामलता का चेहरा देखा| उसकी शक्ल दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक "उड़ान" की नायिका से हू-ब-हू मिल रही थी| पर आईपीएस अधिकारी बनने के लिए बहुत पढ़ना पड़ता है| श्यामलता क्यूँ सिर्फ पास होना चाहती थी? क्या उसे कभी अव्वल आने का ख्याल आया होगा? क्या उसे फैसला सुना दिया गया था कि अंततः उसे भी चौका-बासन ही संभालना है? 

रात का चाँद नरम पड़ रहा था और खिड़की से आती उसकी ज्योत्स्ना मधुरा  को किसी चादर की तरह ढँक रही थी| एक प्रकार की क्लान्ति अब भी जाग रही थी उसके अन्दर| बाइस्कोप की अगली रील में मीराबाई बनी हेमा मालिनी की तस्वीर है| उसके हाथ में कोई वाद्ययंत्र है| मधुरा सोचने लगी कि क्या मीराबाई ने कभी राग भूपाली की उस बंदिश को गाया होगा?  क्या किसी ने उसके इस बंदिश गाने पर पाबंदी लगाई होगी? प्रेम क्या सिर्फ मुर्तियों से की जाने वाली चीज है? क्या पड़ोस के किसी लड़के से प्रेम करना अक्षम्य अपराध है?

"जागते रहो" की कर्कश आवाज एकदम से मधुरा की कानों में पड़ती है और वह अपने मानस में बसे उस गाँव से बाहर निकल आती है| लाठी की ठक-ठक की आवाज देर तक सुनायी देती है| उसकी जेहन में कृष्ण मुरारी आता है| वह भी चौकीदार की लाठी की तरह ही है| कुछ कहता नहीं है, पर उसकी पदचाप उसके मौन पर भारी पड़ते हुए उसके होने का आभास कराती है| क्लास में भी कम ही बोलता है| क्या कृष्ण मुरारी भी एकदिन चौकीदार बनेगा? गाँव का चौकीदार बनेगा या देश का? क्या चौकीदार को भी राम-नाम की माला की जरुरत पड़ती होगी? क्या सरहद पर जवान मच्छरदानी में सोते होंगे? क्या कृष्ण मुरारी ने मच्छरदानी टांगना सीखा होगा? 

मधुरा करवट बदलती है और नींद के आगोश में चली जाती है| अब वह सपनों की दुनिया में है| वह सपना देखती है कि वह रोटियाँ बेल रही है और वह गोल न होकर किसी देश के नक़्शे सा दिखता है| वह रोटी सेंकने के लिए तवे पर चढ़ाकर सलाद काटने लगती है और रोटी जल जाती है| वह बर्तन मांजने के लिए आँगन में चापाकल के नीचे आती है और जोरों की बारिश शुरू हो जाती है| वह पूरी तरह से भींग जाती है| वह ठण्ड से कांपने लगती है| इसी क्रम में उसकी नींद खुल जाती है| वह सोचने लगती है क्या होगा अगर सच में ब्याह के बाद वह गोल रोटियाँ न बेल पाए तो? क्या वह किसी ऐसे राज्य या देश में जाकर नहीं रह सकती जहाँ लोग भात खाते हों? क्या पवन मिश्र के घर की स्त्रियाँ बारिश में भींगकर बर्तन मांजती होंगी? क्या पवन मिश्र उनसे बारिश के पानी में भींगने से मना करते होंगे? क्या उनके शरीर पर बरसाती घाव का निशान होगा?

सुबह की अजान तय करती है मधुरा के रियाज का वक़्त| हारमोनियम लेकर बैठ तो गयी, पर गाये क्या? उसे राग भैरवी का रियाज करके गुरूजी के पास जाना है और बंदिश है -

"मधुर बन्सी नाद सुनत 
ब्रिज सुन्दरी भई पुलकित 
चित आवत श्याम मुरत"

यह महज संयोग ही था कि जिस संगीत विद्यालय में मधुरा शास्त्रीय संगीत सीखने जाती थी, उसी विद्यालय में कृष्ण मुरारी का बड़ा भाई श्यामबिहारी बाँसुरी बजाना सीख रहा था| एक दिन पहले चचेरे भाई ने जो सुनाया, उसके बाद यह बंदिश गाना बिलकुल भी हितकारी नहीं था| हारमोनियम की 'सा' कुंजी पर ऊँगली धरे मधुरा सोच रही थी कि गुरूजी ने देवी सरस्वती को सुर की देवी तो बताया पर पिछले दो सालों में किसी भी राग की किसी भी बंदिश में "शारदा" या "सरस्वती" जैसा शब्द क्यूँ नहीं मिला? ज्यादातर बंदिशों में कृष्ण की लीला और कुछ में शिव की महिमा का ही गान क्यूँ है? क्या किसी रोज वह खुद अपनी बंदिशें लिख पाएगी? क्या वह पहली बंदिश में देवी सरस्वती का ज़िक्र करेगी? क्या किसी बंदिश में वह अपने प्रेमी का नाम लिख पाएगी? क्या वह उस बंदिश को अपने पिता या भाई के समक्ष गा सकेगी? क्या कभी ऐसा भी हो सकता है कि उसके गाने पर ही बंदिशें लगा दीं जाएँ?

मधुरा ने आरोह, अवरोह और तान का रियाज किया और हारमोनियम रख आयी| चाची ने धुले हुए कपड़ों को पसारने में मदद करने के लिए मधुरा को छत पर बुलाया| अभी मधुरा ने दो-तीन कपड़े ही पसारे होंगे, चाची ने कहा "तुम्हारी माँ किसी से बता रही थी कि तुम आगे डॉक्टर बनने की पढाई करने वाली हो?"

"इतना आसान कहाँ है चाची| बहुत पढ़ना होता है; फिर कम्पटीशन और फिर ..."

मधुरा अपनी बात समाप्त भी नहीं कर पायी थी कि चाची ने कहा "हाँ , कोई जरूरत नहीं है ये सब करने की| पराया धन हो, दूसरों के घर ही जाना है तो फिर बाप का पैसा क्यूँ बर्बाद करना| लड़की अपने बाप के लिए नहीं सोचेगी तो कौन सोचेगा| तुम तो बस बीए कर लो और शादी कर लो| वैसे भी ज्यादा पढ़ाई करने से आँखों के नीचे काले दाग हो जाते हैं|"

मधुरा चुपचाप कपड़े पसार रही थी और सोच रही थी कि लड़की होना ज्यादा बड़ी समस्या है या शरीर पर दाग वाली लड़की होना? पाँव में बरसाती घाव का निशान ज्यादा परेशान करता है इस समाज को या आँखों के नीचे का काला दाग? तो क्या टीवी पर वह झूठ कहती है कि "दाग अच्छे हैं"?

मधुरा ने अपनी सवालिया तितलियों को वक़्त के गाँव भेज दिया है| सुना है समय डाकिया जवाब दे जाता है| क्या मधुरा के पास इतना वक़्त होगा? क्या समय की चिठ्ठियाँ सही पते पर पहुँचेंगी?

No comments:

Post a Comment