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नहीं है क्षीरसागर धरती पर कहीं भी
फिर भी सदियों से सुनाया जा रहा है हमें
समुद्र मंथन का वर्णन विस्तार से
नहीं हुई थी कोई पेन्डोरा
यूनान में ही कभी
फिर भी उसके बक्से से जुडी हैं
न जाने कितनी कहानियाँ
नहीं था सोने के सींगों वाला हिरण
फिर भी लोग करते रहते हैं ज़िक्र
रोम के हरक्युलिस का आए दिन
चार दिन का शिशु साँप तो दूर
नहीं मार सकता मच्छर भी
फिर भी अस्पताल से लेकर अंतरिक्ष यान तक
सबके नाम में मौजूद है ग्रीस का अपोलो
क्या होता है सुनी-सुनायी इन कहानियों से
रातों में आँखें मूँदते ही मेरे सपनों में लेती हैं हिलोरें
हिंद महासागर की उद्दाम लहरें अक्सर
तैरता हुआ आता है जिसमें पीतल का सुनहला बक्सा
पेन्डोरा का नहीं, मेरी माँ का है वह पानदान
बंद हैं जिसमें पान, सुपारी और कत्थे के रंगों में रंगे हुए दिन
छूटता हुआ आता है हिरणों का दल सुंदरवन से
सुन्दर स्मृतियों की तरह
देखती हूँ नींद में मुस्कुराया है पहली बार
मेरी गोद में सोए हुए चार दिन के शिशु ने
जिसका नामकरण नहीं किया मैंने किसी मिथकीय पात्र पर
कि वह रच सके अपना खुद का इतिहास
मिथकों का भी भला कोई इतिहास होता है!
नहीं है क्षीरसागर धरती पर कहीं भी
फिर भी सदियों से सुनाया जा रहा है हमें
समुद्र मंथन का वर्णन विस्तार से
नहीं हुई थी कोई पेन्डोरा
यूनान में ही कभी
फिर भी उसके बक्से से जुडी हैं
न जाने कितनी कहानियाँ
नहीं था सोने के सींगों वाला हिरण
फिर भी लोग करते रहते हैं ज़िक्र
रोम के हरक्युलिस का आए दिन
चार दिन का शिशु साँप तो दूर
नहीं मार सकता मच्छर भी
फिर भी अस्पताल से लेकर अंतरिक्ष यान तक
सबके नाम में मौजूद है ग्रीस का अपोलो
क्या होता है सुनी-सुनायी इन कहानियों से
रातों में आँखें मूँदते ही मेरे सपनों में लेती हैं हिलोरें
हिंद महासागर की उद्दाम लहरें अक्सर
तैरता हुआ आता है जिसमें पीतल का सुनहला बक्सा
पेन्डोरा का नहीं, मेरी माँ का है वह पानदान
बंद हैं जिसमें पान, सुपारी और कत्थे के रंगों में रंगे हुए दिन
छूटता हुआ आता है हिरणों का दल सुंदरवन से
सुन्दर स्मृतियों की तरह
देखती हूँ नींद में मुस्कुराया है पहली बार
मेरी गोद में सोए हुए चार दिन के शिशु ने
जिसका नामकरण नहीं किया मैंने किसी मिथकीय पात्र पर
कि वह रच सके अपना खुद का इतिहास
मिथकों का भी भला कोई इतिहास होता है!
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