Thursday, February 27, 2014

सूरज

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सूरजमुखी के ख्वाहिशों का सूरज
जा बसा है दूर पश्चिम की ओर
और उसकी सुनहरी धूप सहला रही है
पीले टेशुओं वाले अमलताश को
किरणों ने बना लिया है पीले फूलों का गजरा
और खोंस लिया है अपने बालों में
इधर सिर झुकाए खड़ी है सूरजमुखी
कर रही है अवलोकन अपनी इच्छाओं का
बेहद करीब से देख लिया है
इस पुरे घटनाक्रम को
दूर से झांकते दहकते पलाश ने
और हो रहा है लज्जित अपने समलैंगिग रिश्ते पर
उधर निखर रहा है अमलताश
नए रिश्ते की गुनगुनी धुप पाकर
कल जब अलसाई सी धुप
उतर आएगी सूरजमुखी के आँगन
तो नहीं लगेगा कोई अभियोग सूरज पर
धुप में एकबार फिर नहाएगी सूरजमुखी
नहीं तौलेगी सूरज की मंशा प्रेम के तराजू पर
मुस्कुराकर कह देगी सम्बन्ध में अनुबंध नहीं होते

(c)सुलोचना वर्मा

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।

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