Thursday, July 17, 2014

घड़ी

---------
सुबह के लगभग दस बज रहे थे और चारुकेशी बहुत परेशान थी  | उसे अपनी घड़ी नहीं मिल रही थी | बहुत ढूँढा ; पर कहीं नहीं मिली |


बहुत प्यारी थी चारुकेशी को अपनी इकलौती घड़ी | चार बहनों में सबसे छोटी और दसवीं की परीक्षा द्वीतीय श्रेणी में उत्तीर्ण करने वाली अपने घर की पहली लड़की | वह घड़ी उसके लिए दसवीं पास होने पर मिली मैडल जैसी थी | होती भी क्यूँ ना; अब ऐसा मैडल उसे फिर थोड़े ही न मिलना था | उसे दिल की बिमारी थी और उसका पढ़ना लिखना बंद हो चुका था | शहर के बड़े डॉक्टर ने जवाब दे दिया था और अब घर के लोग भी मान चुके थे की वह अगले दस- बारह साल किसी तरह जी पायेगी |

"हे भगवान ! जिसने भी मेरी घड़ी चुराई है, उसका हश्र मेरे जैसा करना | उसे भी दिल की बिमारी हो जाए........... और उसके मुँह से भी खुन आये .......और ............................." कहते हुए चारुकेशी का दर्द उसके चेहरे पर छा गया |

आठ साल की नन्ही माधुरी चारुकेशी के मुँह से ऐसे शब्द सुन सहम गयी | उसका डर लाजिमी था | उसने सुना था की घड़ी में बैटरी होता है और बैटरी के नाम पर उसने टॉर्च में लगनेवाली बैटरी को ही देखा था | उसे जानना था की घड़ी में लगी हुई बैटरी कैसी होती है | यही सोचकर उसने बीती रात उस घड़ी को उठाया था | उसे खोलने में कामयाब भी हो गयी थी ; बैटरी भी देख लिया ; पर कोशिशों के वाबजूद बंद ना कर पायी |  खुली घड़ी को उसने चारुकेशी के कमरे में ही छुपा रखा था |

"जो कोई भी मेरी घड़ी ढूँढ देगा, उसे मिठाई खिलाऊँगी" परेशान हो चारुकेशी ऐलान करती है  |

"यह ठीक रहेगा...मैं घड़ी ढूँढने के नाम पर खुली हुई घड़ी वापस कर सकूँगी......अभिशाप भी नहीं लगेगा फिर तो ......और मिठाई भी....." मन ही मन माधुरी बुदबुदाती है |

थोड़ी देर बाद माधुरी घड़ी ढूंढ़कर चारूकेशी को देती है और चारुकेशी अपने ऐलान के मुताबिक़ खुश होकर माधुरी को मिठाई खिलाती है | साथ  ही माधुरी को देती है दुआएं |

माधुरी मिठाई खा रही है... पर पहली बार मिठाई का स्वाद इतना कड़वा लग रहा है |

-----सुलोचना वर्मा------

No comments:

Post a Comment