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दिवाली के बाद
जब आयी सहालग की बारी
हो गई डोली विदा घर से
और चले गए बाराती
खड़ा रहा पिता
दुआरे पर बहुत देर
मन सा भारी कुछ लिए
देखती रही माँ एकटक
गुलाबी कुलिया चुकिया
जो भरा था अब भी
खाली-खाली से घर में
----सुलोचना वर्मा----
दिवाली के बाद
जब आयी सहालग की बारी
हो गई डोली विदा घर से
और चले गए बाराती
खड़ा रहा पिता
दुआरे पर बहुत देर
मन सा भारी कुछ लिए
देखती रही माँ एकटक
गुलाबी कुलिया चुकिया
जो भरा था अब भी
खाली-खाली से घर में
----सुलोचना वर्मा----
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