Sunday, August 9, 2015

शून्य

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हो जाती हैं महत्वपूर्ण अक्सर कई छोटी-छोटी बातें
जैसे होता है स्थान बड़ा शून्य का अंकगणित में
हो जाता है शून्यमय विवेक, शून्य का नाम ही सुनते 
विलीन हो जाना होता है हमें भी शून्य में ही एक दिन
नहीं बताया आर्यभट्ट ने कि यह सत्य था शाश्वत युगों से


नहीं बताया सरसतिया ने भी एक राज अपने प्रेमी से
कि वह गयी है जान कि वह है एक ऐसी शून्य
जिसके पहले लगे हैं कई अंक प्रेमी के अंकगणित में 
कि शून्य हो गये हैं भाव उसकी झूठी आँखों के
और शून्य हो गया है स्वाद उसके होठों का 


सरसतिया अब प्रेम में आर्यभट्ट बन रही है
फिर ज़रूरी नहीं होता हर बात का बताये जाना !!!


--------------सुलोचना वर्मा----------------------

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