Thursday, August 27, 2015

आरक्षण

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मानो बनाया गया हो खड़िया मिट्टी से 
आयताकार आरेखों का समुच्चय
जैसा बनाती थी लडकियाँ कितकित खेलते हुए
और कहा गया हो कि-" ये लो है तैयार 
तुम्हारे हिस्से का आयत 
जहाँ चलना होगा तुम्हें एक पाँव पर
अपने अंतिम पड़ाव तक रोके साँस" 


ठीक ऐसा ही समुच्चय  है हमारे देश में भी
जाति व्यवस्था के आयताकार आरेखों का
जो हो रहा है संकीर्ण दिन - प्रतिदिन


आप गरीब हैं तो बन सकते हैं अमीर
चाहें तो कर सकते हैं धर्म परिवर्तन भी
पर नहीं सौंपी गई परम्परा की ऐसी थाती
जिससे बदल सके आप अपनी जाति

बिसरा चुकी है कितकित को आज की नयी पीढ़ी
जोड़कर उन्ही आयतों को राजनेता बना रहे हैं सीढ़ी
ओलिंपियाड सा बन गया है प्रजातंत्र का खेल 
खून बहाती, लाश बिछाती चली आरक्षण की रेल

-------सुलोचना वर्मा ------------

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