Monday, October 12, 2015

आकार

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सब जानते हैं  
कि वह नही बेल पाती
चाँद सी गोल रोटियाँ
और ना ही बेल पाती है
समभुज त्रिकोण वाले पराठे


पर वह भरती है पेट कुछ लोगों का
लाकर चावल, आंटे, नमक और घी
साथ ही लाती और भी कई ज़रूरी सामान
जो होने चाहिए किसी रसोई में

है शुद्ध कलात्मक क्रिया
पेट भर पाना, अपना और औरों का
कि जहाँ पेट हों भरे ,
लोग निहार सकते हैं चाँद को घंटों
और कर सकते हैं चर्चा उसकी गोलाई की


भरा पेट देता है दृष्टिकोण
कि आप देख पाएँ
बराबर है त्रिभुज का हर कोण


सामान्य है ना बेल पाना
रोटियों और पराठों का
कमाकर लाना भी सामान्य ही है


असामान्य है समाज का स्वीकार लेना
एक ऐसी स्त्री को, जो सभी का पेट भरते हुए
नही बेल पाती है सही आकार की रोटी और पराठे 


रसोई के बाहर अमीबा नज़र आती है स्त्री

-----सुलोचना वर्मा-------

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