Sunday, October 4, 2015

दीवाली बोनस

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लौटते हुए फैक्ट्री से घर को इक शाम
बाँध लिया रुमाल में सरफुद्दीन मियाँ ने
एक कतरा चाँद की नवजात रौशनी का
कि नहीं दिया मालिक ने इसबार कुछ भी


घर गए, रखकर रुमाल बेटी के सर पर कहा -
तुम्हारे चेहरे के नूर से ही रौशन है ये जिंदगी
कौन दे पाता इससे बड़ी कोई दीवाली बोनस


घर में जला संतोष का दीया

----सुलोचना वर्मा--------

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