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जल रहे थे जंगल, सूख रहीं थीं नदियाँ
काटे जा रहे थे पहाड़
और इस तरह बीत रही थी सदियाँ
सहने की सीमा थी, पृथ्वी अवसादग्रस्त हुई
वह पृथ्वी के अनंत प्रेम में था पागल
ईश्वर ने आत्महत्या कर ली!
----सुलोचना वर्मा------
जल रहे थे जंगल, सूख रहीं थीं नदियाँ
काटे जा रहे थे पहाड़
और इस तरह बीत रही थी सदियाँ
सहने की सीमा थी, पृथ्वी अवसादग्रस्त हुई
वह पृथ्वी के अनंत प्रेम में था पागल
ईश्वर ने आत्महत्या कर ली!
----सुलोचना वर्मा------
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