Wednesday, July 18, 2018

तुम्हारे दर्शन को, हे मानवता

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तुम्हारे दर्शन को, हे मानवता 
सिर्फ तुम्हारे दर्शन को
हमें देखना होगा और कितना नरसंहार ?
और कितने नर पिशाच और कितने बलात्कार ?

तुम्हारे दर्शन का करते हुए इंतजार 
मारा गया जुनैद हिन्दुओं के हाथों 
ईद की ख़रीदारी के बाद लौटते हुए घर 
दिल्ली के अंकित को मारा मुसलमानों ने दिन -दहाड़े 
जब वह कर रहा था प्रेम उनके कौम की लड़की से 
करता हुआ इंतज़ार तुम्हारे दर्शन का, हे मानवता !
सिर्फ तुम्हारे दर्शन की खातिर 
भात भात कहते मर गई एक गरीब बच्ची संतोषी 
लोग हो गए निःशब्द 
बस करता रहा आर्तनाद देर तलक उसकी गली का कुत्ता 
सिर्फ तुम्हारे दर्शन की खातिर
खेलता रहा दो साल का वह बच्चा आंगन में 
जिसकी माँ को जला दिया गया दहेज की खातिर उसी के कमरे में |

तुम्हारे दर्शन को, हे मानवता 
सिर्फ तुम्हारे दर्शन को
हमें देखना होगा और कितना नरसंहार ?
और कितने नर पिशाच और कितने बलात्कार ?
सिर्फ तुम्हारे दर्शन की खातिर
जिंदा है मेरी सहेली जनते हुए सातवीं लड़की 
उसके बिखरे बालों में फँसी हैं आँसू की कुछ बूँदें |
मानवता, तुम्हारे आने की आस लिए 
ढूँढ रही है गायब हुए बेटे नजीब को उसकी माँ 
उसके गायब होने के महीनों बाद भी |

मानवता, तुम्हारे आने की आस लिए 
आजीवन अस्पताल में ही रह गयी वह नर्स 
जिसका हुआ था निर्मम बलात्कार अस्पताल में |
जयदेव पायेंग, जिसने उगा डाला एक पूरा जंगल 
भूमि क्षरण को रोकने की कोशिश में,
करणबीर सिंह, अमृतसर का वह साहसी बालक,
बचाया जिसने बच्चों को डूबने से,
बच्चे, जिनका कुछ रोज़ पहले हो गया है अपहरण,
लोग, जिनके परिजन मारे गए भीड़ के हाथों,
लोग, जो निकल पड़े हैं सड़कों पर लेकर मशाल 
वो सभी तुम्हारा कर रहें हैं बेसब्री से इंतजार, हे मानवता !

सुनकर सहस्र लोगों की पुकार 
बनकर बवंडर, बजाकर घंटे घड़ियाल 
इस भूमि के कोने-कोने तक 
तुम्हें आना ही होगा, हे मानवता !

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