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रूठ गयी चूड़ियाँ कलाई से
आईना देखता रहा
बिंदी जा लिपटी मेरी परछाई से
और देखती रही एकटक मुझे |
मुझे मुझमे विलीन होता देख
जाते-जाते बिछिया ने पाँव में काटी
एक ज़ोरदार चिकोटी !
भारी हो उठा पाजेब द्वन्द में
घूँघरू मोती बरसाते रहे
बिलख उठा बाजू पर बँधा ताबीज़
पिघलता चला गया उसमे भरा मोम
और उड़ गयी दुआ पंख लगाकर दूर वीरानो में |
आँखों ने सोख लिया सारा का सारा काजल
और भरती ही चली गई अंतस की सुरमेदानी में |
घूर रही हैं पेशानी पर तैरते सवालों को
मेरी बेनाम सी अधूरी ख्वाहिशें
कुछ और उलझ गयी हैं
मेरे माथे की मुलायम लटें
शूल सा चुभ रहा है ह्रदय में
गले की हार से लगा लॉकेट
लहुलुहान कर गया मुझे बेतरतीब होकर
सादगी का ये प्रौढ़ आलिंगन !!!
(c)सुलोचना वर्मा
रूठ गयी चूड़ियाँ कलाई से
आईना देखता रहा
बिंदी जा लिपटी मेरी परछाई से
और देखती रही एकटक मुझे |
मुझे मुझमे विलीन होता देख
जाते-जाते बिछिया ने पाँव में काटी
एक ज़ोरदार चिकोटी !
भारी हो उठा पाजेब द्वन्द में
घूँघरू मोती बरसाते रहे
बिलख उठा बाजू पर बँधा ताबीज़
पिघलता चला गया उसमे भरा मोम
और उड़ गयी दुआ पंख लगाकर दूर वीरानो में |
आँखों ने सोख लिया सारा का सारा काजल
और भरती ही चली गई अंतस की सुरमेदानी में |
घूर रही हैं पेशानी पर तैरते सवालों को
मेरी बेनाम सी अधूरी ख्वाहिशें
कुछ और उलझ गयी हैं
मेरे माथे की मुलायम लटें
शूल सा चुभ रहा है ह्रदय में
गले की हार से लगा लॉकेट
लहुलुहान कर गया मुझे बेतरतीब होकर
सादगी का ये प्रौढ़ आलिंगन !!!
(c)सुलोचना वर्मा
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