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एक रही अनीता
और उसका होना रहा आशीर्वाद
जैसे ऋचाओं की गूँज पर ईश्वर से संवाद
उसकी छवि ऐसी धवल
जैसे हरश्रृंगार का फूल
और रश्मि प्रात नवल
जो एक रही अनीता
जा बसी नभ के उस पार
हमारी यादों के झील में
अनीता फिर भी रही
-----सुलोचना वर्मा ------
एक रही अनीता
और उसका होना रहा आशीर्वाद
जैसे ऋचाओं की गूँज पर ईश्वर से संवाद
उसकी छवि ऐसी धवल
जैसे हरश्रृंगार का फूल
और रश्मि प्रात नवल
जो एक रही अनीता
जा बसी नभ के उस पार
हमारी यादों के झील में
अनीता फिर भी रही
-----सुलोचना वर्मा ------
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