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मेरे तुम्हारे बीच
आकर ठहर गया है
एक लम्बा मौन
छुपी हैं जिसमे
उम्र भर की शिकायतें
हर एक शिकायत की
है अपनी अपनी उम्र
उम्र लम्बी है शिकायतों की
और उम्र से लम्बा है मौन
-----सुलोचना वर्मा------
मेरे तुम्हारे बीच
आकर ठहर गया है
एक लम्बा मौन
छुपी हैं जिसमे
उम्र भर की शिकायतें
हर एक शिकायत की
है अपनी अपनी उम्र
उम्र लम्बी है शिकायतों की
और उम्र से लम्बा है मौन
-----सुलोचना वर्मा------
A beautiful and deep poem, I liked how you use such simple words to portray the feeling of deep sadness.
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