Tuesday, December 9, 2014

मुखौटा

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सुकन्या की शादी को अभी १२ दिन बचे थे, पर अभी कुछ दिनों पहले ही उसकी अपने मंगेतर, सुगत से अनबन हो गयी| सुकन्या को अब लगने लगा कि मसले को बिना सुलझाए शादी करना ठीक नहीं होगा| पर सुगत तैयार न था; उसे सुकन्या को हर हाल में पाना था| परेशान होकर सुकन्या राहुल को फोन करती है और उसे सब कुछ बता देती है| राहुल सुकन्या और सुगत, दोनों का करीबी मित्र है|

"तुम्हे उससे शादी नहीं करनी चाहिए" सुकन्या को ध्यान से सुनते हुए राहुल जवाब देता है|
"अब करनी ही पड़ेगी; नहीं तो ...." कहते हुए सुकन्या रुक जाती है|
"नहीं तो क्या........?????" राहुल कौतूहलता से पूछता है|
"नहीं तो वह कह रहा था कि हमारे लिव इन रिश्ते की बात घरवालों और रिश्तेदारों को बता देगा"कहती हुई सुकन्या रो पड़ती है|
"कोई बात नहीं; बताने दो और तुम्हे ऐसे इंसान से शादी कतई नहीं करनी चाहिए जो ऐसी बातों को लेकर तुम्हें ब्लैकमेल करता हो" राहुल की आवाज़ में गुस्सा था|  
"फिर मैं कौन सा मुँह लेकर घर जाऊँगी"
"तुम्हें कहीं जाने की क्या ज़रूरत? तुम तो आत्मनिर्भर हो और फिर अगर ऐसी ज़रूरत हुई तो तुम मेरे पास आकर रह सकती हो| मैं फिर कोई बढ़िया सा लड़का देखकर तुम्हारी शादी करवा दूँगा" ऐसा कहता हुआ राहुल लगभग आश्वस्त था कि सुकन्या अब यह शादी नहीं करेगी|

सुकन्या मन ही मन सोचती है कि काश उसने राहुल को अपने लिए चुना होता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता| कितना सुलझा हुआ इंसान है!! पर सुकन्या की परेशानी कम नहीं होती है| घर में शादी की सारी तैयारियाँ हो चुकी हैं| मेहमानों का आना शुरू चूका है| ऐसे में वह क्या करे; उसे नहीं सूझ रहा| शादी में जब सात दिन रह गए, सुकन्या की एक सहेली ने आकर सुगत से बात की और दोनों को आमने -सामने बैठाकर परस्पर बातचीत से मसले को सुलझाया| सुगत ने अपनी गलती मान ली| हिंदी सिनेमा की तरह आखिरी दृश्य में सब ठीक हो जाता है|

शादी हुए अभी दस महीने ही गुज़रे थे कि एकदिन राहुल उनके घर आ धमकता है| दफ्तर के किसी काम से आना हुआ है और दो दिनों बाद वह वापस चला जाएगा| तीनों दोस्त बहुत दिनों बाद मिले हैं; बातों का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा| रात के खाने के बहुत देर बाद तक तीनों खूब बतियाते हैं| तभी राहुल उनसे कहता है कि उसे अपना ईमेल चेक करना है और उसके लैपटॉप को चार्ज होने में अभी समय लगेगा| सुकन्या अपना लैपटॉप उसकी ओर बढ़ाकर सोने चली जाती है| जाते हुए यह कहकर चुटकी लेती है कि उसे पता है कि उसे अपनी गर्लफ्रेंड से बातें करनी होंगी|

सुबह चाय नाश्ते के बाद तीनों अपने-अपने दफ्तर की ओर रवाना होते हैं| दफ्तर पहुँचकर सुकन्या जैसे ही लैपटॉप ऑन करती है; तो देखती है कि राहुल ने मेल चेक करने के बाद लॉगआउट नहीं किया| वह जैसे ही लॉगआउट करने जाती है; तभी उसकी नज़र सबसे ऊपर वाले ईमेल पर पड़ती है| वह निधि को भेजा गया ईमेल था| सुकन्या ने निधि के बारे में सुना था ; पर उसे यह मालूम नहीं था कि राहुल और निधि के बीच अब भी किसी प्रकार का कोई रिश्ता है| उत्सुकता का कीड़ा बेहद खतरनाक होता है| सुकन्या  से नहीं रहा गया और वह राहुल का निधि को लिखा ईमेल पढ़ती चली गयी जिसमे लिखा था ............

"निधि,
पिछले आठ दिनों से तुमसे बात करने की कोशिश कर रहा हूँ ; पर न तो तुम फोन पर ही आती हो और न ही ईमेल का जवाब देती हो| क्या तुम्हारा मन भर गया इस रिश्ते से? क्या अब तुम्हें मेरे साथ की ज़रूरत नहीं है? अगर नहीं, तो क्यूँ जताया मुझसे इतना अपनापन? क्यूँ आई मेरे इतने करीब? क्या करूँगा उन कपड़ों का जो मैं पिछले छह महीनों से तुम्हारे लिए खरीदकर अपने वार्डरोब में रखता आया हूँ? देखो, ये मेरा आखिरी ईमेल है तुम्हें; अगर दो दिनों में तुम्हारा जवाब नहीं आया तो मैं तुम्हारे पिता को हमारे लिव इन रिलेशन की बात बता दूँगा| बताओ फिर क्या करोगी? मैं ऐसा नहीं करना चाहता; पर तुमने मेरे पास और कोई विकल्प ही नहीं छोड़ा| इन्तजार रहेगा.....तुम्हारा राहुल"

 सुकन्या को अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था| क्या यह वही राहुल है जिसने उसे सुगत द्वारा ब्लैकमेल किये जाने पर शादी तोड़ने की सलाह दी| फिर वह वार्डरोब वाली बात..... तीन महीने पहले जब राहुल ने नया घर लिया तो सुकन्या और सुगत को विडियो चैट पर अपना पूरा घर दिखाया था और अपने वन रूम फ्लैट का इकलौता वार्डरोब खोलकर दिखलाया था कि कितना स्पेशियस है| उसमे तो सभी कपड़े राहुल के ही थे!!!

आज सुकन्या का मन दफ्तर के किसी काम में नहीं लग रहा है| वह तय नहीं कर पा रही कि राहुल अब खुद ही भटक गया है या तब उसे भटकाने की कोशिश कर रहा था............या फिर प्रेम की ज़मीन इतनी गीली
होती है कि वहाँ सही से गलत की ओर फिसलते देर नहीं लगती??? पीछे छूट गयी पुरानी स्मृतियाँ तेजी से पीछा कर रही थी| इतना तय था कि राहुल ने अपने मुख पर मुखौटा लगा रखा था; पर परेशानी यह थी कि कौन सा चेहरा उसका अपना असली चेहरा था !!!

सुकन्या शाम को देर से घर लौटी और फिर सभी ने मिलकर बाहर खाना खाया| राहुल अगली सुबह के फ्लाइट से मुंबई वापस चला गया| सुकन्या ने इस घटना का ज़िक्र किसी से नहीं किया ....किसी से भी नहीं...इस सच को काले मोती की मानिंद यादों के पारदर्शी जार में सहेज कर रख लिया| धरा रह गया सुकन्या का सवाल जिसका उत्तर अब पश्चिम में है|

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