Wednesday, December 31, 2014

गुजरता हुआ साल

-------------------------------------------------
गुजरता हुआ साल इतना साधारण भी न था 
कि मिली ऐसे असाधारण किस्म के लोगों से 
जो टपका सकते हैं अपनी जुबान से शहद 
अंतस में नफरत का काला नमक रखकर 
जबकि मैं मौन भी रहूँ तो बयाँ कर जाती है 
दिल की सच्ची दास्ताँ मेरी पारदर्शी शक्ल 

गुजरता हुआ साल इतना बेरंग भी न था 
कि मैंने देखा बदलते मौसमों के इन्द्रधनुष को 
और लोगों को जुड़ते-बिछड़ते अपनी सुविधानुसार 
जहाँ कुछ मौसम दे गए मीठे-मीठे सुफेद पल 
कभी जिंदगी सुना गयी अपना मुकम्मल काला सच   

गुजरता हुआ साल इतना गया गुजरा भी नहीं 
कि कहूँ कमबख्त आया और आकर चला गया 
जहाँ आया यह साल लेकर कई सुखद पल 
जाते-जाते बहुत कुछ मुझे सिखा दे गया 

गुजरता हुआ साल बस गुजरने ही वाला है 
जहाँ दुनिया कर रही रही है आतिशबाज़ी  
और मना रही है जश्न नए साल के स्वागत में 
कौंध रही हैं यादें बीते हुए बारह महीनों की 
मेरे जेहन के आसमान में बिजली की तरह 
कि तभी जाग जाती है अच्छे दिनों की उम्मीद 
और मैं कह देती हूँ नया साल हो मुबारक़!!

No comments:

Post a Comment