Monday, January 20, 2014

मैं तितली नही


मैं तितली नही, तुम्हारा मन हूँ
कभी अभिलाषाओं के पुष्प पर उत्सर्ग
तो कभी कुसुम की संवेदनाओं का समर्पण हूँ
मैं तितली नही, तुम्हारा मन हूँ


मैं तितली नही, बहता धन हूँ
कभी राजकोष की मुद्राओं में अंकित
तो कभी पर्ण कुटीर के अतीत का वर्णन हूँ
मैं तितली नही, बहता धन हूँ


मैं तितली नही, उड़ता क्षण हूँ
कभी सपनो की सुखी फूलवाड़ी में बेसूध
तो कभी वर्तमान की खुशियों का उपवन हूँ
मैं तितली नही, उड़ता क्षण हूँ


मैं तितली नही, रंगीन तन हूँ
कभी युगों से माँगा हुआ वरदान
तो कभी क्षण भर का आकर्षण हूँ
मैं तितली नही, रंगीन तन हूँ


सुलोचना वर्मा

 

1 comment:

  1. मदमाते गंध अनुपम रूप सौदर्य
    तितली मंडराती हर स्कन्द
    क्षण विराम कब चूसती मकरंद
    तितली तुम सरस उपबंध ..............

    ReplyDelete