Monday, January 6, 2014

आवरण


लगा रखा है मुख पर मिथ्या का आवरण
दिव्य, मनोहारी और मासूमियत दर्शानेवाले
लगाकर मुख मंडल पर देवताओं का मुखौटा
बनना चाहते हैं भगवान, इंसानो की नियत रखनेवाले

क्यूँ आदमी को इंसान बनना रास नही आता
देवता हैं, ये सोचने का एहसास नही जाता
बनते हैं कृष्ण, गोपियों का रास नही भाता
कहते हैं शिव, अशोक सुंदरी का सन्यास नही सुहाता

गोवर्धन कैसे उठेगा, जब चक्रवात डराए
प्रलय कैसे रुकेगा, जब झंझावात हराए
दूसरों को मिली, जिन्हे सौगात सताए
ऐसे लोगों को कोई, उनकी औकात बताए

सर्पदंश की जिन्हे परवाह, वो क्या विषपान करेंगे
हलाहल की किसे फ़िक्र है, बस अमृतपान करेंगे
देवता नही हैं, और जो ना ही इंसान बनेंगे
ऐसे लोगों का भला हम, क्यूँ गुणगान करेंगे

सुलोचना वर्मा

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