Monday, January 6, 2014

पीतल का कुंभ पुराना


कभी खीर पकती थी मुझमे
आज बस पीड़ पकती है
कभी भूख बसती थी मुझमे
अब स्मृति धूल बन बसती है

मेरा मर्म किसी ने ना जाना
मैं पीतल का कुंभ पुराना


कभी दाल गलती थी मुझमे
अब बस मैं गलता हूँ
कभी रसोई की शान था मैं
अब रोज़ आस्ताना बदलता हूँ
मुझे भारी जान, लोग देते ताना
मैं पीतल का कुंभ पुराना


कभी कनक सा मेरा वर्ण था
अब काला पड़ गया हूँ
चूल्‍हे की आग छोड़ चली अब
विधुर सा उजड़ गया हूँ
बदली पीढ़ी बदला ज़माना
मैं पीतल का कुंभ पुराना


रंग भर भर कर तुलिका में
मुझ पर जब चित्र उकेरा
बदल गयी फिर मेरी काया
जीवन ले आया विचित्र सवेरा
नीर भरी आँखो ने मुझको पहचाना
मैं पीतल का कुंभ पुराना


सुलोचना वर्मा

 

3 comments:

  1. क्या देखा है तुमने
    कनक को अपना रूप खोते
    या फिर--
    पीतल को पात बनते ...?

    कल जब सांझे चूल्हे पर
    बनती थी खीर -
    हुलसती बन मैं अधीर
    अब चूल्हे की आंच भले ही
    मद्धिम पड़ गई हो
    पर,सुलगती अंगीठी -सी
    ताप मेरे अंदर भी जल रही है

    धुंआ रही है अन्तर्जवाल
    सुलगती तप्त दहन क्यों
    विलगा रही है मुझे ----

    चाहता हूँ सुलगती आग की आंच
    फिर से सांझे चूल्हे को जलाये
    और मेरे हिस्से की भी एक बार फिर से
    खीर पकाये

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  2. मन का पाखी उड़ अम्बर तक -जा रहा क्यूँ धीरे-धीरे
    तप्त किरण की तारुण्य -उतरी है नदी के तीरे-तीरे

    नीड़ से निर्वाण पथ तक- -डोल रहा है मन धीरे-धीरे
    मन का पाखी उड़ता तबतक-पंख जलता जब धीरे-धीरे

    व्यथा सह नभ से उतरा जब-पसर रही थी रजनी धीरे-धीरे
    राग-विरागी उद्वेलित मन तब-गुनगुना रहा था धीरे-धीरे

    मंद पवन संग तरु पात डोला-प्रणय पल बाँट रहा है धीरे-धीरे
    मन का पाखी क्यूँ अकेला-वेदना भरी गीत गा रहा है धीरे-धीरे ..!!! @ चन्द्र विजय चन्दन ,देवघर ,झारखण्ड

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  3. चन्द्रबदन मह-मह महका -बोल रहा कुछ धीरे-धीरे
    अकुलाया मन क्यों दहका -बोल रहा क्यूँ धीरे -धीरे

    तरु पर्ण तारुणी क्यों चहका-डोल रहा क्यूँ धीरे-धीरे
    महुआ सा मादक मन बहका-बोल रहा कुछ धीरे-धीरे

    प्रेम पूरित मन रस है छलका - गाता मन अब धीरे-धीरे
    आई रजनी घुंघरू है खनका-जाता सूरज अब धीरे-धीरे

    रजनीगंधा सा रूप है लहका-विहँसा उपवन सब धीरे-धीरे
    कुञ्ज कुञ्ज कंगन है खनका-आओ अब तुम मन धीरे-धीरे ....!!!! @ चन्द्र विजय चन्दन ,देवघर,झारखण्ड ९-१-२०१४

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