Saturday, January 25, 2014

रंग अनुराग का

यामिनी के आँचल में
छिपता है देखो सूरज
लोहित है, जो प्रखर है
दहकता सा गोला आग का
लगता है रंग काला है
प्रीत का, अनुराग का


भोजराज बँधे प्रणय-सूत्र में
पर बन ना पाए कारण
कभी मीरा की प्रीत का
कभी मीरा के वैराग का
लगता है रंग काला है
प्रीत का, अनुराग का


लाल-पीले टेसू और सरसों के फूल
है सुवासित पुष्प परिणाम
मकरन्दि मायाजाल का
भ्रमर के गुनगुन राग का
लगता है रंग काला है
प्रीत का, अनुराग का


जब धरा करती घन का आह्वान
तज कर दिनकर की तपिश
वसुधा को मिलता है अमृत
तब सौदामनि के त्याग का
लगता है रंग काला है
प्रीत का, अनुराग का


सुलोचना वर्मा

 

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