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हम जी सकते थे जिंदगी
देखते हुए एक-दूसरे की आँखों में
पर देखा हमने परस्पर को
जमानेवालों की नजरों से
अपनी आँखें होते हुए भी
बड़ा ही बेदर्द और जालिम निकला वक़्त
वक्त न दिया कमबख्त ने, हमे लील गया
हम जी सकते थे जिंदगी
देखते हुए एक-दूसरे की आँखों में
पर देखा हमने परस्पर को
जमानेवालों की नजरों से
अपनी आँखें होते हुए भी
बड़ा ही बेदर्द और जालिम निकला वक़्त
वक्त न दिया कमबख्त ने, हमे लील गया
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