Wednesday, December 7, 2016

मध्यरात्रि की चाय

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महकती हुई एक इलाइची रात जो है काली 
इलाइची के काले दानों के ही समान 
जगा जाती है मुझे देकर स्वप्निल संकेत डूबने का

मैं बिसार कर नींद का उत्सव 
डालती हूँ इलाइची के कुछ दाने केतली में 
उबालती हूँ रात्रि को चाय की पत्तियों संग 
दूध डाल उजाला करती हूँ 
और छान लेती हूँ उम्मीदों की छन्नी से  
मध्यरात्रि की चाय, पोर्सलिन की प्याली में  

बह जाती है मेरी नींद अँधेरे में 
भूमध्यसागर में आहिस्ता-आहिस्ता 

लोग जो डूब जाने का उत्सव भूल 
चढ़ रहे हैं पहाड़ों पर 
क्या यह नहीं जानते कि ठीक से तैरना आता हो 
तो आप डूब कर ले सकते हैं स्वाद जीवन का 

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