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पतीले से भाप बन उठती चाय की खुशबू
खोल देती है यादों का खजांचीखाना
चाय में हौले - हौले घुलती मिठास
दे देती है इक आस अनायास
कि आओगे तुम एकदम अचानक
बिन मौसम की बारिश की तरह
और नहीं होगा जाया मेरा तनिक ऊंचाई से
चाय छानने का संगीतमय लयबद्ध अभ्यास
चाय की पहली चुस्की देती है जीभ को जुम्बिश मगर
तुम्हारी अफ़्सुर्दगी का कसैलापन चाय पर तारी रहता है
हर चुस्की पर हम देते तो हैं खूब तसल्ली दिल को अपने
पर कमबख्त ये दिल है कि फिर भी भारी-भारी रहता है|
पतीले से भाप बन उठती चाय की खुशबू
खोल देती है यादों का खजांचीखाना
चाय में हौले - हौले घुलती मिठास
दे देती है इक आस अनायास
कि आओगे तुम एकदम अचानक
बिन मौसम की बारिश की तरह
और नहीं होगा जाया मेरा तनिक ऊंचाई से
चाय छानने का संगीतमय लयबद्ध अभ्यास
चाय की पहली चुस्की देती है जीभ को जुम्बिश मगर
तुम्हारी अफ़्सुर्दगी का कसैलापन चाय पर तारी रहता है
हर चुस्की पर हम देते तो हैं खूब तसल्ली दिल को अपने
पर कमबख्त ये दिल है कि फिर भी भारी-भारी रहता है|
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