Wednesday, December 18, 2013

नया रिश्ता

हर एक शख्श आपसे जुड़ा नही होता
फिर भी हर कोई तो बुरा नही होता
मिल लेती हूँ हर किसी से हँस के की
चंद लोगों से ही महफ़िल पूरा नही होता
हर रिश्ता जीवन में कुछ नया लाया है
ना सोचो की समय किया मुफ़्त में जाया है
उधर दामिनी को गुज़रे बरस बीत आया है
आज इसी जहाँ में मैने मानस पिता पाया है

सुलोचना वर्मा

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