Friday, December 6, 2013

निशि आभा

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मैं निशि की चंचल
सरिता का प्रवाह
मेरे अघोड़ तप की माया
यदि प्रतीत होती है
किसी रुदाली को शशि की आभा
तो स्वीकार है मुझे ये संपर्क
जाओ पथिक, मार्ग प्रशस्त तुम्हारा
और तजकर राग विहाग
राग खमाज तुम गाओ
मैं मार्गदर्शक तुम्हारी
तुम्हारे जीवन
की भोर होने तक


----------सुलोचना वर्मा-------------

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