सहस्त्र कोटि युगों से शंख, लेता रहा अवतार
कभी बना बाज़ार की मुद्रा , कभी धारदार औजार
शंख जुड़ा धार्मिक जीवन से, मंगल ध्वनि निर्दिष्ट
शंखनाद का पूजा के समय ,स्थान रहा विशिष्ट
समुद्र जैसा गंभीर गर्जन, सुनो इसमें लगाकर कान
कहलाता है जो समुद्रपुत्र, है लक्ष्मीकांत की शान
करे गूंजीत मंदिर का प्रांगण, शंख एक पावन प्रतीक
कभी हुंकार भरे कुरुक्षेत्र में,बनकर विजय ध्वनि सटीक
है विवाह के अवसर पर, शंख ध्वनि अनिवार्य
पहनना शंख की बनी चूड़ियाँ, सधवाओं का कार्य
शंख भाग है अष्टमंगल का , बौद्ध धर्म का चिन्ह पवित्र
शंख भस्म करे रोग दूर, है मानव का सच्चा मित्र
मोती उपलब्ध नही होने पर, करे चंद्रदोष समाप्त
शंख की अंगूठी पहनने का , ज्योतिषी विद्या ज्ञाप्त
बल पड़े भिन्न दिशा, शंख के कई प्रकार
वामावर्त बने औषधि तो, दक्षिणावर्त दे धन अपार
आत्मरक्षा के लिए जीव, बनाते आ रहे खोल
बदली धरती की काया, शंख बना रहा अनमोल
सुलोचना वर्मा
No comments:
Post a Comment