न जाने आजकल एपिक चैनल को क्या हो गया है, जब भी टीवी ऑन करती हूँ, "महाभारत" आ रहा होता है| ऐसे में एक ही चैनल रह जाता है देखने लायक - "फ़ूड फ़ूड"| इस चैनल को देखते हुए जीवन के सारे लक्ष्य बेकार लगने लगते हैं और बढ़िया खाना खाना; फिर खाते रहना ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य लगने लगता है| कैलोरीज की बातें करने वाले संसार के सबसे क्रूर प्राणी लगते हैं|
कल "छपते छपते" पत्रिका का दीवाली विशेषांक प्राप्त हुआ। पत्रिका एक बड़े लिफाफे में बंद थी जिसके ऊपर एक तरफ मेरा पता और दूसरी ओर पत्रिका का नाम और पता अंग्रेजी में लिखा था। पत्रिका को मुझ तक पहुँचाने वाले ने अंग्रेजी में लिखे पत्रिका के नाम को जल्दबाजी में पढ़ा और कहा "चटपटी चटपटी" है। यह बात मुझे अटपटी लगी। फ़ूड फ़ूड चैनल ने आँखों पर ही चाट मसाला चढ़ा दिया है।
कल "छपते छपते" पत्रिका का दीवाली विशेषांक प्राप्त हुआ। पत्रिका एक बड़े लिफाफे में बंद थी जिसके ऊपर एक तरफ मेरा पता और दूसरी ओर पत्रिका का नाम और पता अंग्रेजी में लिखा था। पत्रिका को मुझ तक पहुँचाने वाले ने अंग्रेजी में लिखे पत्रिका के नाम को जल्दबाजी में पढ़ा और कहा "चटपटी चटपटी" है। यह बात मुझे अटपटी लगी। फ़ूड फ़ूड चैनल ने आँखों पर ही चाट मसाला चढ़ा दिया है।
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