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आँखों के होने मात्र से नहीं देखा जा सकता कोई सपना
सिर्फ हाथों के होने भर से नहीं छु सकते आप आकाश
मौन को सुनने के लिए ज़रूरी नहीं होता कानों का होना
विवेक के होने पर भी नहीं होता वस्तुस्थिति का आभास
पाँव के होने मात्र से नहीं पहुँचा जा सकता है अंतरिक्ष
मन के होने भर से ही नहीं किया जा सकता है मन का
जीवन का स्वाद लेने के लिए नहीं होती जरुरत जीभ की
बस जरूरी है हम कर लें सम्मान लिए गए हर प्रण का
-----सुलोचना वर्मा -----------
आँखों के होने मात्र से नहीं देखा जा सकता कोई सपना
सिर्फ हाथों के होने भर से नहीं छु सकते आप आकाश
मौन को सुनने के लिए ज़रूरी नहीं होता कानों का होना
विवेक के होने पर भी नहीं होता वस्तुस्थिति का आभास
पाँव के होने मात्र से नहीं पहुँचा जा सकता है अंतरिक्ष
मन के होने भर से ही नहीं किया जा सकता है मन का
जीवन का स्वाद लेने के लिए नहीं होती जरुरत जीभ की
बस जरूरी है हम कर लें सम्मान लिए गए हर प्रण का
-----सुलोचना वर्मा -----------
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