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उसके अंदर बहता है अदृश्य समुद्र
जिसमें गहरे डूब जाना चाहती थी मैं
मुझे ठहर जाना था पानी में कूदकर
आह दुर्भाग्य ! मुझे तैरना आता था
आजकल मुझे है लहरों का इन्तजार !!!
--सुलोचना वर्मा-----
उसके अंदर बहता है अदृश्य समुद्र
जिसमें गहरे डूब जाना चाहती थी मैं
मुझे ठहर जाना था पानी में कूदकर
आह दुर्भाग्य ! मुझे तैरना आता था
आजकल मुझे है लहरों का इन्तजार !!!
--सुलोचना वर्मा-----
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