Saturday, August 27, 2016

रंग

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मेरी आँखों ने देखी दुनिया, 
सफेद और काले रंगों में 
कि उसमें यही दो रंग थे जन्म से 
मेरे ख्यालों का रंग हुआ
मिटटी की तरह धूसर
कि भावनाएँ केंचुए की तरह दबी रहीं अन्दर 
जब मैंने किया प्रेम
तो इन्द्रधनुषी रंग ही बिखरे 
मेरी आत्मा आसमानी रही 
और विस्तार अपरिमित 

--सुलोचना वर्मा-----

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