Wednesday, August 31, 2016

अतिरेक

---------------------------------------------------------------------------
दिखे आसमान में सबसे रौशन सितारे जब थी सबसे अँधेरी रात 
चुभती रह गयी दिल में सबसे अधिक नहीं कही गयी इक बात 
सबसे ज्यादा चाहा गया उसे, जिसने नहीं समझा हमारा जज्बात 
की जिसे भूलने की कोशिश ज्यादा, हर पल उसे ही किया याद 

सबसे अँधेरी रात में लुका - छिपी खेलता रह गया माहताब 
सबसे कठिन निर्णय था कि पलटें पन्ना या बंद करें किताब 
सबसे बड़ा दुःख दे गया अपनी आँखों का सबसे प्रिय ख्वाब 
वह कोयला हीरा बन गया झेला जिसने सबसे ज्यादा दबाब 

जीवन के सबसे अधिक कष्टप्रद समय में हमें मिले इंसान नेक 
सबसे जटिल समय में ही खोया हमने अपना संयम और विवेक 
मृत्यु के सबसे निकट में जाना जीवन का सबसे बड़ा सत्य एक 
सबसे अंत में जाना, है अदभूत यह जीवन संयोगों का अतिरेक 

-----सुलोचना वर्मा ------

No comments:

Post a Comment